जानिए! दुर्गा सप्तशती के किस अध्याय से कौन सी मनोकामना होती है पूर्ण

पं. सोमेश्वर जोशी
Mo. 9907058430

दुर्गा सप्तशती के अलग अलग अध्यायों का अपना अपना महत्व है, जिनका यदि भक्ति भाव से पाठ किया जाए तो फल बडी जल्दी मिलता है लेकिन लालच से किया पाठ फल नही देता यदि किसी भी जातक को राहू शनि मगंल से बुरे फल मिल रहे हो तो तो ऐ अध्याय पूरी क्षमता रखते है उनके बुरे दोषो को दूर करने मे हर अध्याय का अपना एक महत्व है-

1- प्रथम अध्याय– हर प्रकार की चिंतामिटाने के लिए। मानसिक विकारो की वजह से आ रही अढचनो को दूर करता है मन सही दिशा की ओर ले जाता है जो चेतना खो गई है उसको एकत्र करता है ।

2- द्वितीय अध्याय– मुकदमा झगडा आदि में विजय पाने के लिए यह पाठ काम करता है लेकिन झूठा यदि आप पर किया गया हो तो आपने गलत किसी पर किया हो तो फल नही मिलता बल्की आप खुद बुरा परिणाम भोगेगे ।

3-तृतीय अध्याय– शत्रु से छुटकारा पाने के लिये। शत्रु यदि बिना कारण बन रहे है और नुकसान का पता न चल रहा हो की कौन कर रहा है तो ऐ पाठ उपयक्त है ।

4- चतुर्थ अध्याय– भक्ति शक्तितथा दर्शन के लिये।जो साधना से जुडे होते समाज के हित मे साधना को चेतना देना चाहते है तो ऐ पाठ फल देता है ।

5- पंचम अध्याय– भक्ति शक्ति तथा दर्शन के लिए। हर तरह से परेशान हो चुके लोग जो ऐ सोचते है कि हर मदिर दरगाह जा के कुछ नही मिला वह यह पाठ नियमित करे

6- षष्ठमअध्याय– डर, शक, बाधा ह टाने के लिये। राहु का अधिक खराब होना केतू का पिडित होना तंत्र जादू भूत इसतरह के डर पैदा करता है तो आप इस अध्याय का पाठ करे ।

7- सप्तम अध्याय– हर कामना पूर्ण करने केलिये। सच्चे दिल से जो कामना आप करते है जिसमे किसी का अहित न हो तो यह अध्याय कार्यरत है ।

8- अष्टम अध्याय– मिलाप व वशीकरण के लिये। वशिकरण गलत तरीके नही अपितु भलाई के लिए हो और कोई बिछड गया है तो तो यह है ।

9- नवम अध्याय– गुमशुदा कीतलाश, हर प्रकार की कामना एवं पुत्र आदि के लिये। बहुत से लोग जो घर छोड जाते है यह खो जाते है यह पाठ उसके लौटने का साधन बनता है ।

10- दशम अध्याय– गुमशुदा कीतलाश, हर प्रकार की कामनाएवं पुत्र आदि के लिये। अच्छे पुत्र की कामना रखने वाले या बच्चे गलत रास्ते पे चल रहे हो तो यह पाठ पूर्ण फलदायी है ।

11- एकादश अध्याय– व्यापार वसुख-संपत्ति की प्राप्ति के लिये। करोबार मे हानी हो रही है पैसा नही रूकता या बेकार के कामो मे नष्ट हो जाता है तो यह करे ।

12- द्वादश अध्याय– मान-सम्मान तथा लाभप्राप्ति के लिये। इज्जत जिदंगी का एक हिस्सा है यदि इसपर कोई आरोप प्रत्यारोप करता हो तो यह करे ।

13- त्रयोदश अध्याय– भक्ति प्राप्ति के लिये। साधना के बाद पूर्ण भक्ती के लिए यह करे ।

Comments

comments

error: Content is protected !!
Open chat
Hi, Welcome to Upasana TV
Hi, May I help You