जानिए! नवरात्र में मां दुर्गा किस-किस सवारी पर आती हैं? इस बार मां दुर्गा का आगमन पालकी से
शारदीय नवरात्र शक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पर्व 21 सितम्बर से शुरू होकर 29 सितम्बर को समाप्त होगा। इस बार मां दुर्गा का आगमन पालकी से होगा व गमन पालकी पर ही होगा, जो अति शुभ है। ज्योतिषाचार्य सोमेश्वर जोशी के अनुसार 21 सितंबर को कलश की स्थापना आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को की जाती है. इस बार प्रतिपदा प्रातः 10.34 तक रहेगी. अतः प्रातः 10.34 के पूर्व ही कलश की स्थापना कर लें. इसमें भी सबसे ज्यादा शुभ समय होगा प्रातः 06.19 से 07.49 तक कलश स्थापना.
सर्वार्थसिद्धि योग में मनेगा इस बार दशहरा।
21 सितम्बर घटस्थापना, गुरुवार व हस्त नक्षत्र योग।
22सितम्बर द्वितीया, रवियोग।
23 सितम्बर तृतीया, रवियोग,सर्वार्थसिद्धि।
24 सितम्बर चतुर्थी, रवियोग।
25 अक्टूबर चतुर्थी, रवियोग, सर्वार्थसिद्धि।
26 सितम्बर षष्ठी, रवियोग।
27 सितम्बर सप्तमी,रवियोग।
28 सितम्बर दुर्गाअष्टमी महापूजा।
29 अक्टूबर महानवमी रवियोग।30 सितम्बर विजयादशमी, रवियोग, सर्वार्थसिद्धि योग।
जिस दिन से नवरात्र प्रारंभ होते हैं, उसी दिन से तय होती है माता की सवारी। यूं हम सब लोग उनको शेरोंवाली कहते हैंऔर शेर पर सवारी उनको प्रिय है लेकिन अपनी महापूजा पर देवी भगवती संकेतों में बहुत कुछ कहने आती हैं। इन्हीं संकेतों में एक संकेत है, उनकी सवारी। शारदीयनवरात्र आते ही, वह अपना वाहन बदल लेती हैं तथा प्रस्थान भी वाहन बदल कर करती हैं। वाहन का भी अपना अलग गणित है। ठीक वैसे ही जैसे नवसंवत्सर का राजा औरमंत्री का निर्धारण होता है।
आइए, आपको बताते हैं कि देवी भगवती का वाहन कब और कौन-सा होता है:
गुरुवार या शुक्रवार को यदि नवरात्र प्रारंभ होते हैं तो देवी मां डोले या पालकी पर सवार होकर आती हैं।
पालकी या डोले पर सवार होकर मां आती हैं तो लक्ष्मी अस्थिर होती है। आय से ज्यादा व्यय होता है। प्राकृतिक आपदा का योग बनता है।
यदि शारदीय नवरात्र रविवार या सोमवार से प्रारंभ होते हैं तो देवी हाथी पर सवार होकर आती हैं।
भगवती यदि हाथी पर आती हैं तो अच्छी वर्षा का संकेत हैं। चारों दिशाओं में सुख-शांति है। धन-धान्य और समृद्धि है।
शनिवार और मंगलवार को नवरात्र प्रारंभ होते हैं तो माता रानी का आगमन अश्व अर्थात घोड़े पर होता है।
अश्व पर यदि मातारानी आती हैं तो राजनीतिक उठापटक होती है और राजाओं में युद्ध होता है जिस प्रकार घोड़ा न थकता है और न बैठता है, उसी प्रकार शासक औरप्रशासक को देवी का यह योग बैठने नहीं देता लेकिन शक्ति का संचार हर दिशा में होता है। इस बार यही योग है।
बुधवार को यदि नवरात्रों का शुभारंभ होता है तो शेरां वाली मां शेर छोड़ कर नाव पर सवार होकर आती हैं।
देवी मां यदि नाव पर आती हैं तो सर्वकार्य सिद्धि का योग बनता है।