इस बासंती नवरात्रि हाँथी पर सवार होकर आएंगी आदिशक्ति
“शशि सूर्ये गजारूढा शनिभौमे तुरंगमे।गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधै नौका प्रकीर्तिताः”
उपासना डेस्क(अनिल कुमार श्रीवास्तव): श्लोक के आधार पर धार्मिक, आध्यात्मिक, ज्योतिष और बैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण आस्था के इस महापर्व चैत्र नवरात्रि महामयी शैलपुत्री का आगमन हाथी पर सवार होकर होगा।श्लोक के अनुसार रविवार, सोम से आरम्भ होने वाले नवरात्रि को महामयी हांथी पर, शनि, मंगल को घोड़े पर, गुरु, शुक्र को पालकी में, बुधवार को मातारानी नाव पर सवार होकर घटस्थापित जगह पर आती हैं।
यूँ तो साल में चार नवरात्रि होते हैं।आषाढ़, माघ के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले गुप्त नवरात्र आमतौर पर नही मनाए जाते लेकिन तंत्र साधना के नजरिये से ये बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।सार्वजनिक तौर पर मनाए जाने वाले नवरात्रि शरद ऋतु में शारदीय और वसन्त ऋतू में चैत्र नवरात्रि हैं।आस्था के क्षेत्र में इन नवरात्रों का अपना महत्वपूर्ण स्थान है।12 राशियों की यात्रा पूरी कर राशि परिवर्तन के साथ सूर्य भगवान मेष राशि मे प्रवेश करते हैं सूर्य और मेष राशि दोनों अग्नि तत्व वाले है जिसके कारण गर्मी की शुरूआत होती है।महत्वपूर्ण बात यह है कि हिन्दू वर्ष के साथ साथ पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत भी इसी दिन होगी।धार्मिक दृष्टि से भी यह बहुत महत्वपूर्ण है।
इस दौरान आदि शक्ति पृथ्वी पर आती है और आराधना करने वालो का कल्याण करती हैं।किवदन्ती है कि चैत्र में आदिशक्ति पृथ्वी पर आई थी और उनके कहने पर ब्रम्हा जी ने सृष्टि का निर्माण शुरू किया था।बैज्ञानिक नजरिये से भी चैत्र नवरात्रि बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है।ऋतु परिवर्तन के समय रोग बहुत प्रभावी रहते हैं।रोग रूपी आसुरी शक्तियों को मारने के लिए हवन, पूजन किया जाता है जिसमे प्रयुक्त जड़ी बूटियां, वनस्पति रोग रूपी असुरों का हनन करने में प्रभावी भूमिका निभाते है।मौसम बदलाव में शारीरिक, मानसिक बल में कमी को व्रत, हवन, स्तुति योग से पूरा किया जाता है।
हिन्दू नववर्ष के साथ 18 मार्च को शुरू सुबह 9:30 से 11:15 के बीच वृषभ लग्न जो कि स्थिर लग्न है में कलश स्थापना का शुभ योग है।घट स्थापना के साथ इस दिन माँ शैलपुत्री की पूजा होगी।19 मार्च माँ ब्रम्हचारिणी, 20 मार्च माँ चन्द्रघटा, 21 मार्च को कुष्मांडा देवी, 22 मार्च को स्कंद माता, 23 मार्च कात्यायनी देवी, 24 मार्च को कालरात्रि देवी, 25 मार्च को दुर्गा अष्टमी, 26 मार्च को नवरात्रि परायण होगा।ऋतु परिवर्तन के महायोग में इस बासंती नवरात्रि जो भक्त सच्चे मन से आदिशक्ति को ध्यावेगा उसके सारे बिगड़े काम बन जाएंगे।