अखंड सुहाग को देने वाला व्रत है करवा चौथ -एस्ट्रो राहुल श्रीवास्तव
भारतीय हिंदू स्त्रियों के लिए करवा चौथ का व्रत अखंड सुहाग को देने वाला माना जाता है। विवाहित स्त्रियां इस दिन अपने पति की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की मंगलकामना करके भगवान रजनीश चंद्रमा को अर्ध्य अर्पित कर व्रत को पूर्ण करती हैं। यह व्रत कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। इस दिन स्त्रियां पूर्ण सुहागन का रूप धारण कर वस्त्राभूषणों को पहनकर भगवान रजनीश से अपने अखंड सुहाग की प्रार्थना करती हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चौथ को केवल चंद्र देवताओं की ही पूजा नहीं होती बल्कि शिव पार्वती और स्वामी कार्तिकेय को पूजा जाता है। शिव पार्वती की पूजा का विधान इस हेतु किया जाता है कि जिस प्रकार शैलपुत्री पार्वती ने घोर तपस्या करके भगवान शंकर को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया वैसे ही उन्हें भी मिले।
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इस संदर्भ में एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार पांडवों के वनवास के समय जब अर्जुन तप करने इंद्रनील पर्वत की ओर चले गए तो बहुत दिनों तक उनके वापस न लौटने पर द्रौपदी को चिंता हुई कृष्ण ने आकर द्रौपदी की चिंता दूर करते हुए करवा चौथ का व्रत बताया तथा इस संबंध में जो कथा शिव जी ने पार्वती को सुनाई थी।
वह भी सुनाई इस संदर्भ में जो कथा प्रचलित है वह इस प्रकार है इंद्रप्रस्थ नगर में वेद शर्मा नामक एक विद्वान ब्राम्हण के सात पुत्र तथा एक पुत्री थी। जिसका नाम वीरावती था उसका विवाह सुदर्शन नामक एक ब्राम्हण के साथ हुआ ब्राम्हण के सभी पुत्र विवाहित थे एक बार करवा चौथ व्रत के समय वीरावती की भाभियों ने तो पूर्ण विधि से व्रत किया किंतु वीरावती सारा दिन निर्जल रहकर भूख ना सहन कर सकी तथा निहाल होकर बैठ गई भाइयों की चिंता पर भाभियो ने बताया कि वीरावती भूख से पीड़ित है करवा चौथ का व्रत चंद्रमा देख कर ही खुलेगी। भाइयों ने बाहर खेतों में जाकर आग जलाई तथा ऊपर कपड़ा उतारकर चंद्रमा जैसा दृश्य बना दिया फिर जाकर बहन से कहा कि चांद निकल आया है, अर्ध्य दे दो यह सुनकर वीरावती में अर्ध देकर खाना खा लिया नकली चंद्रमा को अर्ध्य देने से उसका व्रत खंडित हो गया तथा उसका पति अचानक बीमार पड़ गया। वह ठीक ना हो सका एक बार इंद्र की पत्नी इंद्राणी करवा चौथ का व्रत करने पृथ्वी पर आई इसका पता लगने पर वीरावती ने जाकर इन रानी से प्रार्थना की कि उसके पति के ठीक होने का उपाय बताएं इन रानी ने कहा कि तेरे पति कि यह दशा तेरी ओर से रखे गए करवा चौथ व्रत के खंडित हो जाने के कारण हुई है यदि तू करवा चौथ का व्रत पूर्ण विधि विधान से बिना खंडित किए करेगी तो तेरा पति ठीक हो जाएगा। इरावती ने करवा चौथ का व्रत पूर्ण विधि से संपन्न किया फलस्वरूप उसका पति बिल्कुल ठीक हो गया करवा चौथ का व्रत उसी समय से प्रचलित है।