सिंहस्थ में शंकराचार्य की जमीन पर हुआ निर्माण, वहां बना दी दीवार

उज्जैन. मंगलनाथ व बडऩगर रोड पर जमीन विवाद अभी उलझा ही हुआ है और अब प्रशासन के सामने नई चुनौती शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के पड़ाव स्थल को लेकर खड़ी हो गई है। शंकराचार्य की ओर से पूर्व सिंहस्थ की तरह ही रुद्रसागर में प्रवेश द्वार के लिए स्थान तय किया है, जबकि नगर निगम ने वहां अब दीवार खड़ी कर दी है। शंकराचार्य के शिष्यों ने दीवार का हिस्सा तोडऩे को कहा है। मेला प्रशासन इस पर कोई निर्णय नहीं ले पाया है। मामले को लेकर आने वाले दिनों में नया विवाद खड़ा होने की आशंका है।

छोटी-छोटी चूक, बड़ी समस्याएं
सिंहस्थ कार्यों में लगे अधीनस्थों की छोटी-छोटी चूक मेला प्रशासन के लिए बड़ी समस्याएं खड़ी कर रही हैं। नया मामला शंकराचार्य के पड़ाव स्थल का है। दो पीठ शारदा ज्योतिष व द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का कैंप बड़े रुद्रसागर में लगता है। पूर्व सिंहस्थ में कैंप का मुख्य प्रवेश द्वार गौंड बस्ती की ओर था। शंकराचार्य की ओर से इस बार भी द्वार उसी स्थान पर बनाया जाना है। इसके लिए उनके शिविर के प्रभारी धरानंद महाराज व मीडिया प्रभारी रामानंद ब्रह्मचारीमहाराज और कोलकाता से कारीगर भी उज्जैन पहुंच गए, लेकिन मौके पर स्थिति अलग ही मिली। सौंदर्यीकरण के नाम पर नगर निगम ने रुद्रसागर की बाउंड्रीवॉल बना दी और इसमें वह हिस्सा भी दबा दिया, जहां शंकराचार्य के कैंप का प्रवेश द्वार बनना था। धरानंद महाराज व रामानंद ब्रह्मचारी ने इस पर कड़ी आपत्ति ली है। उन्होंने मेला प्रशासन को द्वार के लिए दीवार का हिस्सा तोडऩे का कहा है।

अन्य सुविधाओं पर भी प्रशासन मौन
द्वार स्थल के साथ ही रामानंद ब्रह्मचारी महाराज ने शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के लिए शासन की ओर से अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने को कहा है। इसमें उनके लिए प्लाई बोड का आवास भवन, भक्तों के लिए सौ रूम, 20 स्वीच कॉटेज, मंच, 200 नल, 200 शौचालय, 200 बाथरूम, टेबल-कुर्सी आदि की अपेक्षा की गई है। इसके लिए वह पहले मेला अधिकारी अविनाश लवानिया और फिर सिंहस्थ केंद्रीय समिति अध्यक्ष माखनसिंह से चर्चा की। दोनों ही संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। उन्होंने इस इसे शासन स्तर का विषय बताया। रामानंद ब्रह्मचारी महाराज के अनुसार मेला प्रशासन न द्वार निर्माण पर निर्णय ले पा रहा है और नहीं व्यवस्था करने में सक्षमता दिखा पा रहा है, जबकि नासिक व अन्य कुंभ में शंकराचार्य को विभिन्न सुविधाएं दी गई थीं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी आमंत्रण के साथ सुविधा उपलब्ध कराने को कहा था।

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