महादेव बलुआ बाबा, इलाहाबाद
यज्ञ भूमि प्रयाग आदिकाल से ही शिव उपासना के लिए साधकों की प्रिय भूमि रही है कहा जाता है कि भगवान शिव ने पृथ्वी पर जीवन की रचना का शुभारंभ प्रयाग से ही किया था भौगोलिक आधार पर भी प्रयाग अपने गुणों के कारण सभी रितुओं को आत्मसात करने वाला ब्रह्म क्षेत्र रहा है विष्णु जी की प्रयाग पर विशेष अनुकंपा रही है प्रयाग के बलुआघाट क्षेत्र में मुगलों और अंग्रेजों के शासनकाल में यमुना तट से बड़ी बड़ी नौकाओं द्वारा व्यापार का संचालन किया जाता था दूर-दूर से व्यापारी अपना माल लेकर प्रयाग आते थे उसी समय व्यापारियों ने अपने व्यापार के सकुशल संचालन और सुरक्षा के लिए बलुआ घाट पर महादेव बलुआ बाबा की अति विशिष्ट और बेहद सुंदर शिवलिंग की स्थापना घाट के समीप एक छोटा सा मंदिर बना कर की थी।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद कहा जाता है कि भगवान शिव स्वयं यमुना के इस खूबसूरत तट पर जैसे निवास के लिए आ गए यह मंदिर चारों ओर से पेड़ों से आच्छादित था समय के साथ वृक्षों को काटकर इस क्षेत्र को प्रयाग वासियों ने रहने के योग्य बना लिया पूर्वजों ने इस क्षेत्र में एक सुंदर पक्के घाट का निर्माण भी करवा दिया बलुआघाट बारादरी का खूबसूरत स्थापत्य और सीढ़ियों का सौंदर्य बलुआ घाट मैं चार चांद लगाता है बारादरी के समीप महादेव बलुआ बाबा का मंदिर अवस्थित है समय के साथ इस मंदिर में नए परिवर्तन बहुत से हो गए हैं लेकिन इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना का समय लगभग 200 वर्ष पूर्व का अनुमानित है यह शिवलिंग घर बहुत सुंदर है और यह जमीन के भीतर काफी गहरे तक जाकर यमुना की ओर मुड़ गया है यह लाल पत्थर का बना हुआ है और बिल्कुल सीधा है पारंपरिक शिवलिंग की बनावट से इसकी बनावट बिल्कुल अलग है।
शिव भक्तों का कहना है कि महादेव बलुआ बाबा की पूजा अर्चना करने से तमाम मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं यमुना में बाढ़ आने पर बहुत से सांप इस मंदिर में आकर महादेव बलुआ बाबा की शरण में रहते हैं और बाढ़ उतरने पर वापस लौट जाते हैं यह सब किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते और बलुवा बाबा के परिवार के सदस्यों की तरह मंदिर में रहते हैं महादेव बलुआ बाबा के दर्शन के लिए लाखों भक्त प्रतिवर्ष आते हैं यह मंदिर प्रयाग की यश कीर्ति का आधार है ।