मनकामेश्वर मंदिर – इलाहाबाद, जहां देते है भूत पिशाच पहरा
यज्ञ तीर्थ प्रयाग की आध्यात्मिक कीर्ति की सुगंध तीनों लोकों में वायु में घुलकर अगर जीवनदायिनी बन गई है, तो उसका केवल एक कारण है कि इस सुगंध में शिव अपने सर्वोत्तम स्वरूप में उपस्थित हैं। शिव जीवन है और शिव ही मृत्यु हैं वेदों पुराणो उल्लेख मिलता है कि शिव को प्रयाग की भूमि यज्ञों और धर्म कार्यों के लिए हमेशा आकर्षित करती रही है।
प्रयाग में असंख्य शिव मंदिर है लेकिन उन्हें यमुना तट पर लगभग 400 वर्षों पूर्व प्राण प्रतिष्ठित बाबा मनकामेश्वर सिद्ध पीठ का सौंदर्य और मंदिर के आसपास की प्राकृतिक छटा देखने के योग्य है। पूरे वर्ष शिव भक्तों का यहां ताता लगा रहता है और जलाभिषेक दुग्ध अभिषेक बिना रुके अब हर गति से भक्तों द्वारा संपादित होते रहते हैं। इस शिव सिद्ध पीठ का स्थापत्य शिव विज्ञान और दर्शन की गरिमा से सुसज्जित है प्रयाग में लाखों लोग ऐसे हैं जो प्रतिदिन बाबा मनकामेश्वर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं उनके चरणों में अपनी कामनाएं और प्रार्थनाएं अर्पित करते हैं और आस्था यह है कि बाबा मनकामेश्वर भक्तों को कभी निराश नहीं करते।
इस सिद्ध पीठ का परिसर भले ही छोटा हो परंतु उसकी पवित्रता बहुत बड़ी है जब कभी भक्त अपनी जिंदगी को हारने लगते हैं उदास हो जाते हैं कहीं कोई रास्ता नहीं सोचता तो ऐसे भक्त बाबा मनकामेश्वर की चौखट पर जाकर बैठ जाते हैं और जब उड़ते हैं तब उनकी समस्या का निदान हो चुका होता है न जाने कितने भक्तों का यह अनुभव है शिवलिंग के रूप में स्थापित बाबा मनकामेश्वर अत्यंत सुंदर है और शेषनाग जी ने तो इस सौंदर्य को और भी बढ़ा दिया है इस मंदिर में प्रयाग आने वाला हर शिवभक्त दर्शन के लिए अपने आप चला आता है और यहां पहुंच कर उसे आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
कहा जाता है कि बाबा मनकामेश्वर एक ऐसे स्वयं सिद्ध मंत्र की तरह है जिनका यदि पति पत्नी मन से स्मरण कर ले तो काम सिद्ध हो जाता है इस सिद्ध पीठ में रात्रि को अंधकार में शिव परिवार के तमाम सदस्य भूत प्रेत पिशाच को परिसर में आते जाते बहुत से लोगों ने देखा है परंतु यह ताकतें कभी किसी का कोई नुकसान नहीं करती बल्कि जिन्होंने इन ताकतों का दर्शन किया है उन्हें समृद्धि ही प्राप्त हुई है।
कई बार लोगों ने मंदिर के सन्नाटे में भगवान शिव के जय कार्य सुने हैं सभी लोगों का मानना है कि बाबा मनकामेश्वर जब निद्रा में होते हैं तो यह शक्तियां उनके आसपास रहकर पहरा देती हैं ।