कुंभ मेला राजिम 22 फरवरी से 7 मार्च तक, एक मार्च से शुरू होगा संत समागम

रायपुर: आपने चार कुंभ और अर्धकुंभ मेले के बारे में सुना होगा। लेकिन अपने ही देश में पांचवा कुंभ मेला भी लगता है। यह पवित्र स्थान छत्तीसगढ़ राज्य में है, जो आज भी कला संस्कृति, रीति-रिवाज के मामले में एक अबूझ पहेली से कम नहीं है।

देश के पांचवें कुंभ मेला के रूप में प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ का राजिम कुंभ मेला इस वर्ष 22 फरवरी से शुरू 7 मार्च तक चलेगा। पंद्रह दिवसीय इस मेले में इस साल भी संत-समागम एक विशेष आकर्षण होगा।

राजिम : छत्तीसगढ़ का प्रयागराज

ध्यातव्य है कि राजिम को “छत्तीसगढ़ का प्रयागराज” कहा जाता है। यह महानदी, पैरी और सोंढूर नदी के संगम पर अवस्थित इस राज्य का एक विख्यात तीर्थस्थल है।

यहां राजीव लोचन मंदिर, कुलेश्वर मंदिर, मामा-भांचा मंदिर आदि पावन दर्शनीय धर्मस्थल हैं।

महाशिवरात्रि (सात मार्च) तक चलेगा संत समागम

खबर है कि इस संत समागम में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, द्वारका शारदा पीठाधीश्वर, आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद भारती, आचार्य महामंडलेश्वर अग्निपीठाधीश्वर रामकृष्णानंद महाराज सहित 10 अखाड़ों, 25 महामंडलेश्वरों, 50 महंतों सहित हजारों साधु-संतों का आगमन संभावित है।

यह संत समागम एक मार्च शुरू होकर महाशिवरात्रि सात मार्च तक चलेगा।

महाशिवरात्रि के मौके पर होता है शाही स्नान

संत समागम के लिए संगम पर भव्य मंच बनाया जा रहा है। मंच पर एक मार्च से सात मार्च तक सातों दिन सत्संग और प्रवचन की धारा बहेगी। संत समागम में आने वाले नागा साधुओं, शंकराचार्यो, महामंडलेश्वरों और अन्य साधु-संतों के रहने के लिए साधु कुटिया बनाई जा रही है।

राजिम संगम पर कुंभ मेले के आखिरी दिन महाशिवरात्रि पर्व पर शाही स्नान का आयोजन होता है। इसके लिए शाही कुंड बनाया गया है। संगम तक पहुचने के लिए नदी के रेत पर अस्थायी सड़कें बनाई जा रही हैं। मेला स्थल पर एम्बुलेंस की व्यवस्था भी की जा रही है। खाद्य विभाग द्वारा मेला स्थल पर दाल-भात केंद्र खोले जाएंगे।

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