अष्टमी 21 को, नवमी, दशहरा 22 को – ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश्वर जोशी

ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश्वर जोशी

भक्तो की आस्था का पर्व नवरात्र अब अपने अंतिम दौर में हे चन्द्रमास की गढ़ना के कारण इस बार नवरात्र दस दिन कि होने से लोगो के मन में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही हे की अष्टमी, नवमी और दशहरा कब मनाये?

इस सम्बन्ध में हम ने चर्चा करी मालवा के ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश्वर जोशी से, इन ने बताया की अष्टमी दिनाक 20 को दोपहर 02:22 मिनिट से 21 को दोपहर 01:29 तक रहेगी तत्पशात् नवमी 22 को दोपहर 11:58 मिनिट तक रहेगी और फिर दशहरा प्रारम्भ होगा अतः स्पष्ट हे की महाष्टमी पूजन 21 को तथा महानवमी पूजन 22 को होगा यदि देवी गुरुवार को जाती हे तो हाथी पर बैठ कर जिससे सौभाग्य में वृद्धि होती हे उसके बाद दशमी तिथि प्राम्भ हो जाएगी इसलिए इसी दिन दशहरा भी मनाया जायेगा दशहरे को धार्मिक मान्यताओ के अनुसार दशहरा दशन्द्रियो पर दश महाविद्याओ की आराधना करके विजय प्राप्ति के रूप में देखा जाता हे इस दिन पशुसाधन एवं शस्त्र पूजन का भी विधान हे जो दोपहर 12 बजे बाद अभिजित मुहूर्त, अपराह्न पूजा का समय 01:19 से 03:35 विजय मुहूर्त 02:04 से 02:50 बजे तक कर सकते हे शस्त्र पूजन में अलग अलग शस्त्रो का अलग अलग मंत्रो द्वारा योग्य विद्वान द्वारा पूजन करवाना चाहिए

विशेष योग सयोग
प. जोशी ने बताया की २१ को दोपहर ०२:२० मिनट से २३ को दोपहर १२:०२ मिनिट तक रवि योग रहेगा तथा बुध, राहु गोचर में अपनी उच्च राशि कन्या में होने से व्यापर, बाजार को नई उचाईयो पर ले जायेगा शास्त्रो के अनुसार २१ अष्टमी बुधवार, उत्तराषाढ़ा और नवमी का सयोग बहोत श्रेष्ठ माना जाता हे तथा नवमी तिथि में उत्तराषाढ़ा और गुरुवार का सयोग त्र्यलोक्यदुर्लभ सहयोग हो तो नवमी बड़े महत्व की मानी जाती हे जो की इस बार हे इसमें अनेक प्रकार के पदार्थो से पूजा की जाये तो श्रेष्ठ महाफलदायी होती हे

यह करे विशेष

  • दोपहर १२ बजे पहले नवमी पूजा प्रारम्भ करे
  • दुर्गा/कुलदेवी का विशेष महापूजन करे
  • हवन, पूजन, विसर्जन करे
  • विशेष स्तोत्र कुंजिका,श्रीसूक्त, देवी कवच, अर्गला स्तोत्र का पाठ करे
  • सप्तशती एवं विशेष कामना पूर्ति के लिए विशेष मन्त्र का जाप करे
  • दोपहर १२ बजे बाद शस्त्र पूजन करे
  • सूर्यास्त पूर्व रावण दहन करे

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