जाने! दीपावली महोत्सव के कुछ अचूक उपाय – ऐस्ट्रो राहुल श्रीवास्तव

ऐस्ट्रो राहुल श्रीवास्तव
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धनत्रयोदशी से यम द्वितीया तक जहां अन्य त्योहार केवल एक एक दिन मनाए जाते हैं वहां दीपावली पर्व सतत 5 दिन तक मनाया जाता है। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल द्वितीया तक मनाए जाने वाले इस पर्व को निसंकोच धर्म आश्रित राष्ट्रीय पर्व कहा जा सकता है।दीपोत्सव का आरंभ कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से होता है।

इसे आज धनतेरस के नाम से स्मरण किया जाता है।यह नाम आर्युवेद प्रवर्तक भगवान धन्वंतरि के जयंती दिवस के आधार पर ही प्रचलित हुआ है।ऐसा अनुमान किया जाता है वस्तुतः यह दिन भगवान धनवंतरि तथा यमराज दोनों से संबंध रखता है। एक ओर इस दिन वैध समुदाय भगवान धनवंतरी का पूजन कर निज राष्ट्र के लिए स्वास्थ्य समृद्धि की याचना करता है,वहीं दूसरी ओर सामान्य गृहस्थी यमराज के उद्देश्य से तेल के दीपक जलाकर निज ग्रह के मुख्य द्वार पर रखते हैं। धनतेरस के दिन यमुना स्नान करके यमराज और धनवंतरी का पूजन दर्शन करें।यमराज के निमित्त दीपदान करना चाहिए। भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य धनतेरस के दिन हुआ था अत: उनके जयंती के रुप में धनतेरस को उनकी पूजा कर रोग विमुक्त स्वास्थ्य जीवन की याचना की जाती है।

दीपोत्सव पर्व का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी अथवा रूप चौदस के रुप में मनाया जाता है।इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। नरक ना प्राप्त हो तथा पापों की निवृत्ति हो इस उद्देश्य से प्रदोष काल में चार बत्तियों वाला दीपक जलाना चाहिए। । पुराणों के अनुसार आज ही के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर संसार को भयमुक्त किया था।इस विजय की स्मृति में यह पर्व मनाया जाता है। शास्त्र अनुसार धनतेरस नरक चतुर्दशी तथा दीपावली का संबंध विशेषता यमराज से जुड़ा है।तीन दिन उनके निमित्त दीप दान किया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर शौच आदि से निवृत्त हो,तेल मालिश कर स्नान करना चाहिए।

दीपोत्सव पर्व का तीसरा दिन दीपावली के नाम से जाना जाता है।इस पर्व के साथ हमारा युग युग का इतिहास इस प्रकार जुड़ा हुआ है कि चाह कर भी हम उन सब तथ्यों को विस्मृत नहीं कर सकते है। पुराणों में इसकी विभिन्न मान्यताएं उपलब्ध होती हैं।कहीं महाराज पृथु द्वारा पृथ्वी दोहन कर देश को धन्य धान्य से समृद्ध बना देने के उपलक्ष्य में दीपावली मनाए जाने का उल्लेख मिलता है।तो कहीं आज के दिन समुद्र मंथन से भगवती लक्ष्मी के प्रादुर्भूत होने की प्रसन्नता में जनमानस के उल्लास का दीपोत्सव रूप में प्रकट होना वर्णित है।कही कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध कर उसके बंदी ग्रह से,सोलह हज़ार कन्याओं का उद्धार करने पर दूसरे अथार्थ अमावस्या के दिन भगवान श्री कृष्ण का अभिनंदन करने के लिए सज्जित दीपमाला के रूप में तथा कहीं पांडवों के सकुशल वनवास से लौटने पर समाजजनों द्वारा उनके अभिनंदनार्थ दीपमाला से उनका स्वागत करने के प्रसंग से इस पर्व का संबंध जोड़ा गया है। कहीं श्री राम की विजय उपलक्ष्य में अयोध्या में उनके स्वागतार्थ प्रज्वलित दीप माला से प्रकृत दीपावली का संबंध स्थापित किया गया है।कहीं इसे सम्राट विक्रमादित्य के विजय उपलक्ष्य में जनता द्वारा दीपमालिका प्रज्वलित कर उनका अभिनंदन करने का उल्लेख है।

लक्ष्मी गणेश पूजन के लिए मुहूर्त
1-व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के लिए दिन में 2:17 से 3:48के मध्य
2-सबके लिए सर्वोत्तम साय 6:55से रात्रि 8:52 तक
३-तंत्र मंत्र सिद्धि काली पूजा इत्यादि के लिए रात्रि 1:23 से 3:37के मध्य

इस पर्व का चौथा दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाने वाला गोवर्धन नामक पर्व है। इस दिन पवित्र होकर प्रातः काल गोवर्धन तथा गोपेश भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करना चाहिए।

दीपोत्सव पर्व का समापन दिवस है कार्तिक शुक्ल।दुनिया जिसे भैया दूज कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार भैया द्विज अथवा यम द्वितीया को मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है।इस दिन बहनें भाई को अपने घर आमंत्रित कर अथवा स्वयं उनके घर जाकर उन्हें तिलक करती हैं और भोजन कराती हैं।इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए।इसके पश्चात यम भगनी यमुना भगवान् श्री चित्रगुप्त और यमदूतों की पूजा करनी चाहिए। इस प्रकार हम देखते हैं दीपावली पर्व का धार्मिक सामाजिक और राष्ट्रीय महत्त्व अनुपम है और वही इसे पर्व राज बना देता है।

दीपावली महोत्सव के कुछ अचूक उपाय

  • धनतेरस के दिन हल्दी और चावल को पीसकर उसके घोल से घर के प्रवेश द्वार पर ओम बना दें माँ लक्ष्मी की कृपा मिलेगी
  • छोटी दीपावली यानी नर्क चतुर्दशी को प्रातः काल स्नान करने के बाद सबसे पहले लक्ष्मी विष्णु की प्रतिमा अथवा फोटो को कमलगट्टे की माला और पीले पुष्प अर्पित करें तो धन लाभ निश्चित होगा
  • अच्छी नौकरी के लिए जातक को दीपावली की शाम लक्ष्मी पूजा किस समय चने की दाल लक्ष्मी जी पर छिड़क कर पूजा समाप्त के बाद इकट्ठी करके पीपल के पेड़ पर समर्पित कर दें
  • यदि आपके पास धन नहीं रुकता तो इस उपाय से धन रुकने लगता है और व्यर्थ का ख़र्च नहीं होता है क्या करें दीवाली की रात चांदी की डिब्बी में काली हल्दी नागकेसर व सिंदूर को साथ रखकर भगवती लक्ष्मी जी के चरणों से स्पर्श करवाकर धन रखने के स्थान पर रख दें
  • दीपावली की रात में थोड़ी साबुत फिटकरी का टुकड़ा लेकर उसे दुकान में घूम आएं और फिर किसी भी चौराहे पर जाकर उसको उत्तर दिशा की तरफ फेंक दें दुकान में ग्राहकी बढ़ेगी और धन लाभ में वृद्धि होगी दीपावली की रात में रुद्राक्ष की माला से निम्न मंत्र का जाप करते हुए घी व शक्कर की आहुति दें इस प्रयोग से आश्चर्यजनक रूप से धन का आगमन प्रारंभ होने लगता है मंत्र है
    ओम ह्रीम श्रीम नमः
  • दीपावली के दिन पीली त्रिकोण आकृति का पताका विष्णु मंदिर में ऊंचे वाले स्थान पर इस प्रकार लगाएं कि वह लहराती रहे इस उपाय से आपका भाग्य सिद्धि चमक उठेगा
  • हनुमत जन्म महोत्सव कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी मंगलवार की अर्द्धरात्रि में अंजना देवी के उदर से हनुमान जी का जन्म हुआ था यद्दपि अधिकांश उपासक इसी दिन हनुमान जयंती मनाते हैं और व्रत करते हैं परंतु शास्त्रान्तर में चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जन्म का उल्लेख किया है कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हनुमान जयंती मनाने का यह कारण है कि लंका विजय के बाद श्री राम अयोध्या आए पीछे भगवान श्री रामचंद्र जी और भगवती जानकी जी ने वानर आदि को विदा करते समय यथा योग्य पारितोषिक दिया था उस समय इसी दिन सीता जी ने हनुमान जी को पहले तो अपने गले की माला पहनाई जिसमें बड़े-बड़े बहुमूल्य मोती और अनेक रत्न थे परंतु उसने राम नाम ना होने से हनुमानजी उससे संतुष्ट ना हुए तब उन्होंने अपने ललाट पर लगा हुआ सौभाग्य द्रव्य सिंदूर प्रदान किया और कहा इससे बढ़कर मेरे पास अधिक महत्व की कोई वस्तु नहीं है अत एव तुम इससे हर्ष के साथ धारण करो और सदैव अजर अमर रहो यही कारण है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हनुमान जन्म महोत्सव मनाया जाता है और तेल सिंदूर चढ़ाया जाता है
  • पीपल के पत्ते पर राम लिखकर तथा पत्ते पर मिष्ठान रखकर हनुमान मंदिर पर चढ़ाइए धन लाभ होगा
  • मंगलवार को बूंदी के लड्डू चढ़ाकर प्रांगण में वितरित करने से व्यवसाय या कार्यस्थल से संबंधित समस्याओं में लाभ होगा
  • मुकदमे आदि समस्याओं के लिए शुक्ल पक्ष में प्रथम मंगलवार से बजरंग बाण का पाठ प्रारंभ करने एवं व्रत रहने से निश्चित लाभ होगा
  • हनुमान जी के सामने बैठकर 9 दिन में रामचरितमानस का गायन करने से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं
  • बच्चे को नजर लग गई हो तो हनुमान जी से सिंदूर लेकर बच्चे के कान के पीछे लगा दीजिए देखिए अद्भुत प्रमाण
  • कोई अकारण कार्यालय आदि में शत्रुता रख रहा हो किसी अकारण भय से आप ग्रसित हो ऐसी स्थित में प्रातः काल स्नान के बाद तीन बार बजरंग बाण का पाठ कीजिए कपूर पर लौंग रखकर जलाइए और उसकी राख से टीका लगाकर फिर घर से बाहर निकलिए, शत्रु से रक्षा होगी

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