खिचड़ी! कैसे पड़ा व्यंजन का नाम? सबसे पहले किसने इसे बनाया? कहाँ लगता है खिचड़ी मेला ?
केंद्रीय उपासना डेस्क, नॉएडा: 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर्व है, जो संपूर्ण भारत में बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन को खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। लोक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा का आरंभ भगवान शिव ने किया था और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी बनाने की परंपरा का आरंभ हुआ था। उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है। मान्यता है की बाबा गोरखनाथ जी भगवान शिव का ही रूप थे। उन्होंने ही खिचड़ी को भोजन के रूप में बनाना आरंभ किया।
पौराणिक कहानी के अनुसार खिलजी ने जब आक्रमण किया तो उस समय नाथ योगी उन का डट कर मुकाबला कर रहे थे। उनसे जुझते-जुझते वह इतना थक जाते की उन्हें भोजन पकाने का समय ही नहीं मिल पाता था। जिससे उन्हें भूखे रहना पड़ता और वह दिन ब दिन कमजोर होते जा रहे थे।
अपने योगियों की कमजोरी को दूर करने लिए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एकत्र कर पकाने को कहा। बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा। सभी योगीयों को यह नया भोजन बहुत स्वादिष्ट लगा। इससे उनके शरीर में उर्जा का संचार हुआ।
आज भी गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ के मंदिर के समीप मकर संक्रांति के दिन से खिचड़ी मेला शुरू होता है। यह मेला बहुत दिनों तक चलता है और इस मेले में बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग अर्पित किया जाता है और भक्तों को प्रसाद रूप में दिया जाता है।
2017 में गोरखनाथ मंदिर में लगने वाला खिचड़ी मेला पूरी तरह सजकर तैयार हो गया है। हालांकि इसकी औपचारिक शुरुआत 14 जनवरी से होगी।
गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी मेले का दूरदर्शन और रेडियो से सीधा प्रसारण
मकर संक्रांति के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में आयोजित होने वाले मेले और अध्यात्मिक अनुष्ठान का दूरदर्शन और रेडियो द्वारा सीधा प्रसारण किया जाएगा। दूरदर्शन के केंद्राध्यक्ष राहुल सिंह ने बताया कि सीधे प्रसारण की व्यवस्था कर ली गई है
गोरखपुर के लिए खिचड़ी मेला में चलेंगी रोडवेज की 500 स्पेशल बसें
मकर संक्रांति पर्व पर गोरक्षनाथ मंदिर में जुटने वाले श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए परिवहन निगम 500 स्पेशल बसें चलाने की तैयारी कर रहा है। 13 से 15 जनवरी के बीच गोरखपुर परिक्षेत्र के 12 मार्गो पर स्पेशल बसें चलाई जाएंगी। मेला में बसों की जानकारी देने के लिए कैंप भी लगाए जाएंगे। एक कैंप बस डिपो तथा दूसरा मंदिर परिसर में लगेगा।