बच्चे और उनके स्वभाव और व्यक्तित्व को प्रभावित करता है सूर्य
कोई बच्चा चंचल होता है तो कोई सीधा। कोई शांत रहता है, कई ऐसे होते हैं जो एक पल न चैन से बैठते हैं और न ही चैन से रहने देते हैं। कोई बहुत बोलता है, तो कोई मारे शर्म के आंखें भी नहीं मिलाता है। घर, मोहल्ला, बाजार, पार्क हो या स्कूल हम पाते हैं कि हर बच्चे की विशेषता अलग-अलग होती है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार यह विशेषता ग्रह जनित होती है। बच्चे अलग-अलग विषय चुनते हैं, कोई पढ़ाई में अव्वल है, तो कोई खेल में माहिर है। कोई कला में पारंगत है, तो कोई ऑल राउंडर। यह भी ग्रहों का प्रभाव होता है।
सूर्य के कारण बच्चों पर पड़ते हैं ये प्रभाव
वास्त्व में ग्रहों की स्थिति, दृष्टि और युति के कारण ये लक्षण और प्रभाव उत्पन्न होते हैं। इनकी भिन्न-भिन्न परिस्थितियां ही बच्चों को भिन्न-भिन्न बनाती है। वैसे हर इंसान पर एक से अधिक ग्रह का प्रभाव होता है, लेकिन आइए यहां जानते हैं, आत्मकारक ग्रह सूर्य के कारण बच्चों पर क्या-क्या प्रभाव पड़ता है।
>> जिस बच्चे का सूर्य बली होता वह कक्षा में अग्रणी रहता। वह शिक्षकों का चहेता होता है। उसे खुद के श्रेष्ठ होने का गर्व भी होता है। हालांकि वह कम शरारती होता है, लेकिन उसके मन में उद्विग्नता होती है। क्योंकि, सूर्य चाहे कितना ही प्रकाशवान क्यों न हो, वह भीतर से बहुत गर्म होता है।
>> जिन बच्चों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, वैसे बच्चे सदैव चिंतित प्रतीत होते हैं। पढ़ाई में अच्छा करने के बावजूद परीक्षा या प्रतियोगिता के काफी समय पूर्व से तनाव में रहते हैं। परीक्षा के दिन भी उनके तनाव में कमी नहीं आती है।
>> ऐसे बच्चे अपने स्कूल बैग को समय से पहले ही तैयार रखते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि उन्हें अपनी जिम्मेदारी का ज्ञान दूसरों से अधिक होता है। वे अपनी बैग या अलमारी में कोई अवांछित चीज होना पसंद सहन नहीं करते हैं।
>> वे गीत-संगीत सुनने से दूर रहते है। यदि वे गीत सुनेंगे भी तो वह धार्मिक होगा। उन्हें नजर का चश्मा भी जल्दी लग सकता है।
ये आसान उपाय करें
- यदि आपके बच्चे में ऐसा कोई लक्षण है तो उसे नारंगी (संतरी) रंग के कपड़े अधिक से अधिक पहनाएं।
- उनके बिस्तर की चादर (बेडसीट), विशेषकर सिरहानों के कवर इस रंग का ही रखें।
- उन्हें हाथ-मुंह पोंछने के लिए नारंगी (संतरी) रंग का रुमाल दें।
- उनके लिए तांबा का गिलास लें और उसी गिलास में पानी पीने को कहें।
- अगर बच्चों में दृष्टिदोष अधिक हो तो उनके वजन के बराबर गेहूं का दान करें।
- बच्चे से गायत्री मंत्र का जाप करवाएं। यदि यह संभव नहीं तो सुबह उनके लिए म्यूज़िक प्लेयर पर गायत्री मंत्र की सीडी चलाएं।
Source: Bhakti Times