पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ माघ मेला 2020 प्रारम्भ, आस्था की डुबकी लगाने संगम तट पर उमड़ा जनसैलाब

उपासना डेस्क, प्रयागराज: संगम की रेती पर आस्था के सबसे बड़े आयोजन माघ मेला की पौष पूर्णिमा के साथ शुरुआत हो गए । इस मौके पर गंगा- यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में लाखो श्रद्धालु त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाने संगम तट पर पहुंचे । ब्रम्ह मुहूर्त में शुरू हुआ पौष पूर्णिमा में स्नान ध्यान का सिलसिला लगातार जारी है । भोर से ही शुरू हो गया है। इस मौके पर बड़ी तादात में श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर अपने लिए मोक्ष की कामना करते है हालांकि प्रयागराज़ में बेहद ठंड और गलन है लेकिन लोगों की आस्था इस ठंड पर भारी पड़ रही है। 43 दिनों तक चलने वाले माघ मेले में सुरक्षा व्ययस्था के भी कड़े इंतजाम किए गए है। पौष पूर्णिमा के दिन से ही सूर्य के उत्तरायण होने और मकर राशि में प्रवेश की प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है । प्रयाग पृथ्वी का मध्य भाग है और उत्तरायण सूर्य की सीधी किरणें जब संगम के जल में पड़ती हैं तो यह जल आध्यात्मिक महत्व के साथ ही वैज्ञानिक दृष्टि से भी काफ़ी उपयोगी हो जाता है । पौष पूर्णिमा पर संगम स्नान के बाद दान पुण्य का काफ़ी महत्व है । पौष पूर्णिमा के साथ ही गंगा की रेती पर अध्यात्म की एक अनोखी नगरी भी बस जाती है । प्रसाशनिक दावों के अनुसार माघ मेला के पहले स्नान पर्व पर लाखों श्रद्धलुओं ने आस्था की डुबकी लगाई ।

प्रयागराज़ में माघ के महीने में ही हर साल लाखों श्रद्धालु एक महीने तक यहीं रहकर मोह- माया से दूर रहते हुए कल्पवास करते हैं समूची दुनिया में कल्पवास सिर्फ प्रयागराज़ में त्रिवेणी के तट पर ही होता है पौराणिक मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन से ही सभी तैंतीस करोड़ देवी-देवता भी संगम की रेती पर आकर एक महीने के लिए अदृश्य रूप से यहाँ विराजमान हो जाते हैं । मान्यताओं के मुताबिक़ संगम की रेती पर कल्पवास करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जीवन- मरण के बन्धनों से आज़ाद हो जाता है।

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