धर्महरि चित्रगुप्त दर्शन के बिन अधूरा अयोध्या दर्शन
उपासना डेस्क, अयोध्या: अयोध्या हिन्दुओं का प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त के फैजाबाद में एक अति प्राचीन धार्मिक स्थान है। यहाँ स्थित है त्रेता युग का भगवान धर्महरि चित्रगुप्त महाराज मंदिर। समस्त प्राणी समाज का दुःख हरने वाले भगवान धर्महरि चित्रगुप्त जी मंदिर के विषय में अवधारणा है कि जो सच्चे मन से एक बार दर्शन कर ले उसे मनवांछित फल प्राप्त हो जाता है। सनातन धर्म में आस्था के प्रतीक के रूपी इस मंदिर का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है।
सरयू नदी के तट पर बसा अयोध्या, मर्यादा परुषोत्तम राम चन्द्र जी की जन्म स्थली के रूप में जाना जाता है। ऐसी किवदंती है की मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम चंद्र जी ने विवाह के उपरांत सर्वप्रथम सरयू स्नान के बाद भगवान चित्रगुप्त जी की इस मंदिर में पूजा अर्चना की थी। कहाँ जाता है, इनके दर्शन के बिना अयोध्या दर्शन अधूरा रह जाता है। भगवन चित्रगुप्त जी का मंदिर तुलसी उद्द्यान,अयोधया के सामने गली से उतरकर बेतिया मंदिर के बगल मीरा पुर,देरीबीबी में स्थित है। इसकी पुनः आधारशिला ९९०ई ० में यमद्वितीया के दिन रखी गयी थी। महमूद गजनवी के काल में प्रमुख मंदिरो के साथ इस मंदिर को भी तहस -नहस केर दिया था।
सं १९०२ में पुनः मंदिर का भाग्य उदय हुआ।उसके बाद धर्म हरि मंदिर में आस्था के सहारे भगवान चित्रगुप्त की महिमा आज भी अपनी महत्ता बिखेरती है।सुदूर क्षेत्र के दर्शनार्थी सरयू स्नान के बाद सभी प्रमुख मंदिरों के दर्शन के साथ इस मंदिर की पूजा अर्चना को अनिवार्य रूप दे अपनी मन्नते मांगते नजर आते हैं। आरजू पूरी होने के बाद पूरी श्रद्धा से पुनः भगवान चित्रगुप्त मंदिर में नत मस्तक होकर अपने अपने क्षेत्रों में धर्महरि की महिमा मंडन करते नही थकते।
विडम्बना यह है कि छत्तीस गुण वाली मर्यादा पुरुषोत्तम व माता जानकी की जोड़ी के दाम्पत्य जीवन की शुरुआत श्री धर्महरि चित्रगुप्त जी के आशीर्वाद से शुरू होने वाला यह मंदिर अब खण्डहर में तब्दील हो गया है। पूजा अर्चना के बूते आस्था बिखेरते इस मंदिर को पूर्व की भांति भव्य बनाने के लिए श्रद्धालुओं ने श्री धर्महरि मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग की है।