सरकार का बड़ा कदम: जीएसटी स्लैब घटाकर दो पर लाने का प्रस्ताव, व्यापारियों में खुशी

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भारत सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) को सरल बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। सूत्रों के अनुसार, जीएसटी काउंसिल की बैठक में वर्तमान चार स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर सिर्फ दो स्लैब में लाने का प्रस्ताव रखा गया है।

क्या होगा नया ढांचा?

  • छोटे और आम उपभोक्ता वस्तुओं पर कम स्लैब (संभावित 8-10%) लागू होगा।
  • विलासिता की वस्तुओं और सेवाओं पर उच्च स्लैब (संभावित 18-20%) लगाया जाएगा।
  • 28% वाले टैक्स स्लैब को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की तैयारी।

कम स्लैब (संभावित 8-10%)

इस स्लैब में आम जनता के लिए रोजमर्रा की जरूरतों की वस्तुएँ और सेवाएँ आएँगी। इससे इन चीज़ों के दाम घटने की संभावना है:

  • खाद्य सामग्री और डेयरी उत्पाद – दूध, दही, घी, अनाज, दालें
  • दैनिक उपयोग की चीज़ें – साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, घरेलू सामान
  • कपड़े और जूते – सामान्य कपड़े, फुटवियर
  • साधारण इलेक्ट्रॉनिक्स – पंखा, बल्ब, सस्ते टीवी/रिमोट वाले घरेलू उपकरण

प्रभाव: उपभोक्ताओं को रोजमर्रा की चीज़ों पर टैक्स का बोझ कम होगा, जिससे कीमतें घटेंगी और खपत बढ़ सकती है।

उच्च स्लैब (संभावित 18-20%)

इस स्लैब में विलासिता या प्रीमियम वस्तुएँ और सेवाएँ आएंगी। यहां कीमतें या तो स्थिर रहेंगी या बढ़ सकती हैं:

  • प्रीमियम इलेक्ट्रॉनिक्स – स्मार्टफोन, लैपटॉप, हाई-एंड टीवी
  • लक्ज़री सामान – गहने, ब्रांडेड कपड़े, बुटीक आइटम
  • महंगी सेवाएँ – होटल, मनोरंजन, एयरलाइन बिज़नेस क्लास
  • वाहन – मोटरसाइकिल और कारें जिनका मूल टैक्स 18% से ऊपर था

प्रभाव: सामान्य वस्तुओं की तुलना में प्रीमियम और विलासिता की चीज़ों पर टैक्स थोड़ा बढ़ सकता है, जिससे इनकी कीमतों में वृद्धि हो सकती है।

कुल मिलाकर असर

  • आम जनता: रोजमर्रा की वस्तुएँ सस्ती होंगी → जीवनस्तर में सुधार।
  • व्यापारी और उद्योग: टैक्स सिस्टम सरल → लेन-देन में आसानी।
  • राजस्व: सरकार को कुछ अतिरिक्त गणना और समायोजन करना पड़ सकता है।

व्यापारियों में खुशी

इस प्रस्ताव के बाद व्यापारियों और उद्योग संगठनों में उत्साह देखा गया है। उनका मानना है कि—

  • टैक्स स्ट्रक्चर आसान होगा।
  • कंफ्यूजन और विवाद कम होंगे।
  • कारोबारियों को रिटर्न भरने और टैक्स कैलकुलेशन में सुविधा होगी।
  • उपभोक्ताओं पर भी कर का बोझ घट सकता है।

विशेषज्ञों की राय

वित्त विशेषज्ञों के अनुसार, दो स्लैब पर आने से राजस्व संतुलन की चुनौती जरूर रहेगी, लेकिन टैक्स सिस्टम पारदर्शी और सरल हो जाएगा।