उपासना डेस्क, नॉएडा : आज श्रावण पूर्णिमा है, जो भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन देशभर में भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का पर्व रक्षाबंधन मनाया जाएगा। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और एक-दूसरे के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा और सम्मान का वचन देता है। यह सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि प्रेम, विश्वास और सुरक्षा का एक मजबूत बंधन है।
श्रावणी मेले का समापन और भादो मेले की शुरुआत
इस श्रावण पूर्णिमा पर एक और बड़ा धार्मिक आयोजन अपने समापन की ओर है। बीते एक महीने से चल रहे विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले का कल देवघर में समापन हो जाएगा। इस दौरान लाखों की संख्या में भक्तों ने दूर-दराज से आकर बाबा बैद्यनाथ धाम में अरघा के माध्यम से जल चढ़ाया। अरघा एक विशेष व्यवस्था है जिसके जरिए भक्त बाबा को सीधे स्पर्श किए बिना जल अर्पित करते हैं।
स्पर्श पूजा का फिर से अवसर
मंदिर के मुख्य पुरोहित मृत्युंजय पंडित के अनुसार, कल दोपहर बाद अरघा को हटा दिया जाएगा। इसके साथ ही भादो मेले की शुरुआत होगी। भक्तों के लिए यह एक खुशखबरी है क्योंकि भादो मेले में श्रद्धालु फिर से स्पर्श पूजा कर सकेंगे। यानी वे बाबा को छूकर जल चढ़ा सकते हैं। यह भक्तों के लिए एक विशेष अवसर होता है, जहां वे अपने आराध्य के और करीब महसूस कर सकते हैं। यह श्रावण मास के बाद का समय होता है, जब भक्तों को बाबा के सीधे दर्शन और पूजा का मौका मिलता है, जिससे उनकी आस्था और भी गहरी हो जाती है।
यह श्रावण पूर्णिमा का दिन एक साथ कई धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। जहां एक ओर रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है, वहीं दूसरी ओर श्रावणी मेले का समापन और भादो मेले की शुरुआत भक्तों को भक्ति का एक नया अवसर प्रदान करती है। यह दिन न सिर्फ त्योहारों का संगम है, बल्कि प्रेम, आस्था और परंपराओं का भी संगम है।




