हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं और अविवाहित कन्याओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करके अखंड सौभाग्य, दांपत्य सुख और मनचाहे वर की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
हरतालिका तीज 2025 तिथि व शुभ मुहूर्त
- तिथि प्रारंभ: सोमवार, 25 अगस्त 2025, दोपहर 01:54 बजे से
- तिथि समाप्त: मंगलवार, 26 अगस्त 2025, दोपहर 03:44 बजे तक
पूजा का शुभ मुहूर्त (प्रदोष काल): 25 अगस्त 2025, शाम 06:55 बजे से रात 09:05 बजे तक
👉 इसी दिन निर्जला व्रत रखा जाएगा और रात्रि जागरण के साथ माता पार्वती-शिवजी की पूजा-अर्चना की जाएगी।
हरतालिका तीज 2025: किन स्थानों पर जलाएं दीपक?
मान्यता है कि हरतालिका तीज के दिन घर के कुछ विशेष स्थानों पर दीपक जलाने से देवी-देवताओं की कृपा मिलती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
- पूजा स्थल पर दीपक – सबसे पहले मंदिर या पूजा स्थल पर दीपक जलाकर माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करें।
- मुख्य द्वार पर दीपक – दरवाजे पर दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और लक्ष्मी का वास होता है।
- रसोई घर में दीपक – रसोई को समृद्धि का स्थान माना गया है। यहां दीपक जलाने से अन्न-धान्य की कभी कमी नहीं होती।
- तुलसी चौरा (यदि घर में हो) – तुलसी जी के पास दीपक जलाने से वैवाहिक जीवन में सुख और स्थिरता आती है।
- आंगन/बालकनी में दीपक – आंगन या खुले स्थान पर दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में शांति बनी रहती है।
व्रत का महत्व
- सुहागिन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- अविवाहित कन्याओं को योग्य वर का आशीर्वाद मिलता है।
- घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
हरतालिका तीज 2025: व्रत के नियम, क्या न करें
हरतालिका तीज का व्रत निर्जला उपवास के रूप में किया जाता है। यह व्रत बहुत कठिन माना गया है क्योंकि इसमें न तो भोजन किया जाता है और न ही पानी ग्रहण किया जाता है। सुहागिन महिलाएँ अखंड सौभाग्य के लिए और अविवाहित कन्याएँ योग्य वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं।
हरतालिका तीज व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, पार्वती जी का विवाह भगवान विष्णु से करने की योजना उनके पिता ने बनाई थी। किंतु माता पार्वती ने बाल्यकाल से ही भगवान शिव को अपना पति मान लिया था।
जब उन्हें पता चला कि उनका विवाह विष्णु जी से होने वाला है, तो वे अपनी सखियों के साथ घने जंगल में चली गईं और वहीं नदी किनारे एक गुफा में कठोर तपस्या करने लगीं। उन्होंने निर्जल और निर्खाद व्रत रखा और केवल मिट्टी से शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी।
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। तब से यह व्रत सुहागिन स्त्रियाँ अखंड सौभाग्य के लिए और कन्याएँ मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।
हरतालिका तीज व्रत में क्या नहीं करना चाहिए?
- भोजन या जल का सेवन न करें – यह व्रत निर्जला होता है, इसमें पानी भी नहीं पीते।
- नकारात्मक सोच, कलह और क्रोध से बचें – इस दिन मन, वचन और कर्म से पवित्र रहना चाहिए।
- सोना नहीं चाहिए – रात्रि जागरण करना उत्तम माना गया है।
- झूठ, चुगली और अपवित्र कर्म न करें – इससे व्रत का फल कम हो जाता है।
- बाल कटवाना, नाखून काटना व अपवित्र कार्य – इस दिन शुभ नहीं माने जाते।
हरतालिका तीज व्रत में पानी कब पीना चाहिए?
पारंपरिक रूप से यह निर्जला व्रत है, यानी पूजा और जागरण के बाद अगले दिन सूर्योदय के पश्चात व्रत पारण (समापन) के समय ही पानी पीना चाहिए।
यदि स्वास्थ्य कारणों से निर्जला व्रत संभव न हो, तो महिलाएँ केवल फल, दूध या पानी लेकर फलाहार व्रत भी रख सकती हैं।
व्रत तोड़ने के बाद क्या खाएं?
- पारण के समय सबसे पहले जल ग्रहण करें।
- फिर फल, दूध या हल्का शाकाहारी भोजन करें।
- तैलीय, मसालेदार या भारी भोजन तुरंत न लें।
यदि तीज व्रत टूट जाए तो क्या करें?
यदि अनजाने में व्रत टूट जाए (पानी पी लिया या कुछ खा लिया), तो घबराएँ नहीं।
भगवान शिव-पार्वती से क्षमा याचना करें और मन में प्रार्थना करें कि वे आपके भाव को स्वीकार करें।
अगले वर्ष पूरी श्रद्धा से व्रत करने का संकल्प लें।
व्रत टूटने पर भी रात को शिव-पार्वती की पूजा और जागरण अवश्य करें।
👉 इस प्रकार हरतालिका तीज का व्रत श्रद्धा, निष्ठा और शुद्ध मन से करने पर ही फलदायी होता है, चाहे परिस्थितियोंवश नियमों में थोड़ी ढील क्यों न करनी पड़े।