भारत ने इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाई है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नोएडा में देश के पहले टेम्पर्ड ग्लास विनिर्माण संयंत्र का शुभारंभ किया। यह संयंत्र ऑप्टिमस इंफ्राकॉम लिमिटेड द्वारा स्थापित किया गया है और आने वाले वर्षों में भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन क्षमता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का लक्ष्य रखता है।
उद्घाटन समारोह के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान ने पिछले 11 वर्षों में देश के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को अभूतपूर्व गति दी है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन में लगभग छह गुना और इलेक्ट्रॉनिक निर्यात में करीब आठ गुना की वृद्धि दर्ज की गई है। “आज एक के बाद एक सभी कंपोनेंट्स भारत में बनने लगे हैं। अब टेम्पर्ड ग्लास का उत्पादन भी यहीं होगा, जिससे भारत आत्मनिर्भर बनने की दिशा में और आगे बढ़ेगा,” उन्होंने कहा।
अब तक भारत को टेम्पर्ड ग्लास का आयात चीन, वियतनाम और अन्य देशों से करना पड़ता था। लेकिन इस संयंत्र के शुरू होने के बाद हर साल करीब ढाई करोड़ (2.5 करोड़) टेम्पर्ड ग्लास भारत में ही बनाए जाएंगे। इससे न केवल विदेशी आयात पर निर्भरता घटेगी बल्कि भारत वैश्विक स्तर पर भी प्रतिस्पर्धी बनेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, टेम्पर्ड ग्लास का उपयोग स्मार्टफोन, टैबलेट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की स्क्रीन प्रोटेक्शन में किया जाता है। भारत जैसे विशाल बाजार में जहां करोड़ों लोग हर साल नए स्मार्टफोन खरीदते हैं, वहां इस उत्पादन से घरेलू उद्योग को सीधा लाभ मिलेगा। उद्योग जगत का अनुमान है कि इस संयंत्र से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।
अश्विनी वैष्णव ने इस मौके पर सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का वैश्विक हब बनाया जाए। “मोबाइल फोन, लैपटॉप, चिप्स और अब टेम्पर्ड ग्लास—हम हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रहे हैं,” उन्होंने जोड़ा।
उद्योग जगत ने भी इस कदम का स्वागत किया है। ऑप्टिमस इंफ्राकॉम लिमिटेड के चेयरमैन ने कहा कि इस संयंत्र की स्थापना देश की जरूरतों को ध्यान में रखकर की गई है। उन्होंने बताया कि कंपनी का लक्ष्य है कि आने वाले समय में न सिर्फ भारतीय बाजार की मांग को पूरा किया जाए बल्कि अन्य देशों को भी निर्यात किया जाए।
नोएडा, जो पहले से ही इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है, अब इस संयंत्र के कारण और भी सशक्त हो जाएगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम प्रधानमंत्री मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियानों को नई ऊर्जा देगा।
इस उद्घाटन ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब केवल उपभोक्ता बाजार ही नहीं बल्कि वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। आने वाले समय में इस तरह की और भी परियोजनाएँ देश की औद्योगिक और आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएंगी।