Balram Jayanti 2025: पन्ना- कृष्ण पर्व, हर्षोल्लास से मनाया गया भगवान बलदाऊ जन्मोत्सव

पन्ना के ऐतिहासिक बलदाऊ मंदिर में आज किसानों के देवता और भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। उनके जन्मोत्सव के मौके पर सांसद वीडी शर्मा,पन्ना विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह,कलेक्टर सुरेश कुमार ओर पन्ना महाराज छत्रसाल द्वितीय भी शामिल हुए जिन्होंने भगवान को चवर डुला कर पूजा अर्चा की। इस मौके पर क्षेत्रीय सांसद वीडी शर्मा ने किसानों की उन्नति ओर समृद्धि के लिए भगवान बलदाऊ से कामना की।

बलदाऊ जन्मोत्सव के मौके पर बुंदेलखंड के विभिन्न हिस्सों से भक्तगण पन्ना पहुंच रहे हे। जो भगवान बलदाऊ के पंक्तिबद्ध दर्शन कर रहे हे। इस मौके पर पंडित योगेंद्र अवस्थी ने बताया कि यह मंदिर अदभुत हे जो इंग्लैंड के सेंटपाल चर्च की तर्ज पर बना हे।ओर यह सोलह कलाओं से परिपूर्ण हे।आज के दिन महिलाएं संतान की प्राप्ति के लिए यह हलषष्ठी का व्रत रखती हे।

बलदाऊ जन्मोत्सव
सनातन परंपरा में भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की षष्ठी तिथि को कान्हा के बड़े भाई बलराम की जयंती मनाई जाती है. जिनकी पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है

बलदाऊ जन्मोत्सव, जिसे बलराम जयंती के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह भगवान कृष्ण के बड़े भाई, बलराम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। बलराम को बलदाऊ, हलधर और संकर्षण जैसे कई नामों से जाना जाता है।

लोक परंपरा में भगवान बलराम को शक्ति, सौभाग्य और करुणा का देवता माना गया है. उत्तर भारत में बलराम जयंती को ललही छठ या हरछठ आदि के नाम से मनाया जाता है. बलराम भगवान की पूजा करने पर न सिर्फ संतान का बल्कि पूरे परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. भगवान बलराम को कृषि का देवता भी माना जाता है. यही कारण है कि आज ग्रामीण क्षेत्रों में आज के दिन किसान अपने हल की विशेष पूजा करते हैं.

बलराम को उनके शक्तिशाली रूप के लिए जाना जाता है। उनका मुख्य हथियार हल और मूसल है। हल कृषि का प्रतीक है और मूसल शक्ति का। यह त्योहार किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि वे अच्छी फसल की कामना करते हैं।

बलदाऊ जन्मोत्सव के दिन, मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और आरती का आयोजन किया जाता है। भक्त भगवान बलराम की मूर्तियों को गंगा जल से स्नान कराते हैं और उन्हें नए वस्त्र पहनाते हैं। इस दिन बलराम की कथा का पाठ भी किया जाता है, जिसमें उनके जीवन और वीरता की कहानियाँ सुनाई जाती हैं।

यह त्योहार एकता, भाईचारे और समृद्धि का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि कैसे हमें अपने बड़ों का सम्मान करना चाहिए और एक-दूसरे के साथ मिलकर रहना चाहिए। बलदाऊ जन्मोत्सव का यह उत्सव हमें भगवान बलराम के शक्तिशाली और करुणामय व्यक्तित्व की याद दिलाता है।