अयोध्याः रामलला को पहली बार बहन शांता की राखी अर्पित, राम मंदिर में रक्षाबंधन बना ऐतिहासिक
उपासना डेस्क, नॉएडा: यह रक्षाबंधन अयोध्या के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय बन गया है। इस साल, अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में भगवान राम, माता सीता और उनके तीनों भाइयों के लिए एक विशेष उपहार भेजा गया। यह उपहार कोई और नहीं, बल्कि उनकी बहन शांता की ओर से भेजी गई राखियां थीं। यह पहली बार था जब द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला को उनकी बहन की ओर से राखी अर्पित की गई।
परंपरा और श्रद्धा का सुंदर संगम
इस अनोखी पहल की शुरुआत श्रृंगी ऋषि सेवा संस्थान द्वारा की गई। संस्थान ने पारंपरिक और कलात्मक रूप से तैयार की गई राखियों का एक सेट राम मंदिर ट्रस्ट को भेंट किया। ये राखियां मधुबनी कला से सजी थीं, जिनमें जरी और मोती का बारीक काम किया गया था। इन राखियों को बनाने का श्रेय महाराष्ट्र के प्रसिद्ध कारीगर शत्रुघ्न राखीवाला को जाता है। उनकी कारीगरी ने इन राखियों को और भी खास बना दिया।
पर्यावरण-संरक्षण का संदेश
परंपरा और कला के साथ-साथ, इस आयोजन में पर्यावरण के प्रति जागरूकता का भी संदेश दिया गया। रामलला के लिए लखनऊ से एक विशेष इको-फ्रेंडली राखी भी भेजी गई। यह राखी केले के रेशे से बनी थी, जो न केवल सुंदर थी बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी थी। यह पहल दर्शाती है कि आस्था और पर्यावरण संरक्षण दोनों एक साथ चल सकते हैं।
शोभायात्रा और धार्मिक मान्यता
श्रृंगी ऋषि आश्रम से इन राखियों को कार-सेवकपुरम तक एक भव्य शोभायात्रा के माध्यम से पहुंचाया गया। इस यात्रा में कई श्रद्धालु और संत शामिल हुए, जिन्होंने इस ऐतिहासिक पल को और भी यादगार बना दिया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रृंगी ऋषि का विवाह देवी शांता से हुआ था। देवी शांता को भगवान राम की बड़ी बहन माना जाता है। इसी मान्यता के आधार पर श्रृंगी ऋषि सेवा संस्थान ने यह अद्भुत आयोजन किया।
यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह परंपरा, कला, श्रद्धा और पर्यावरण-संवेदनशीलता का एक सुंदर मिश्रण था। यह दर्शाता है कि कैसे पुरानी परंपराएं आधुनिक विचारों के साथ मिलकर एक नया इतिहास रच सकती हैं। अयोध्या का यह रक्षाबंधन हमेशा याद किया जाएगा, जब भगवान राम को उनकी बहन की ओर से राखी का स्नेह भरा संदेश मिला।