अमृत भारत ट्रेन की शुरुआत
भारतीय रेलवे ने 15 सितंबर 2025 से नई अमृत भारत ट्रेन (16601/16602) का संचालन शुरू किया है। यह ट्रेन तमिलनाडु के इरोड जंक्शन से बिहार के जोगबनी तक चलेगी और मध्यप्रदेश के जबलपुर होकर गुज़रेगी। रेलवे का दावा है कि इससे पहली बार मध्यप्रदेश को दक्षिण भारत से सीधी कनेक्टिविटी मिली है।
हालाँकि, इसके मार्ग को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। ट्रेन को नागपुर–इटारसी–जबलपुर के भीड़भाड़ वाले रेलखंड से गुजारा गया है, जबकि नागपुर–छिंदवाड़ा–सिवनी–नैनपुर–जबलपुर मार्ग छोटा और कम व्यस्त था।
दूरी और दबाव का गणित
- नागपुर–इटारसी–जबलपुर मार्ग: 542 किलोमीटर, पहले से ही रेल यातायात बहुत भारी।
- नागपुर–सिवनी–नैनपुर–जबलपुर मार्ग: 414 किलोमीटर, जहाँ 24 घंटे में मुश्किल से 10–12 ट्रेनें गुजरती हैं।
यानी यदि अमृत भारत ट्रेन को सिवनी मार्ग से चलाया जाता तो 128 किलोमीटर कम दूरी होती और नागपुर–इटारसी रेलखंड पर भीड़ का दबाव घट जाता।
उपेक्षित आदिवासी क्षेत्र
इस निर्णय से विशेष रूप से आदिवासी बहुल जिले छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट और मंडला निराश हुए हैं।
- इन जिलों के लोग लंबे समय से लंबी दूरी की ट्रेनों के ठहराव की मांग कर रहे हैं।
- यहाँ केवल पेंचव्हेली फास्ट पैसेंजर और पातालकोट एक्सप्रेस जैसी गिनती की ट्रेनें चलती हैं।
- ब्रॉडगेज लाइन अप्रैल 2023 में पूरी हो चुकी, लेकिन अब तक इस मार्ग पर प्रमुख ट्रेनें नहीं चलाई गईं।
यदि अमृत भारत ट्रेन इस रूट से जाती तो सौंसर, छिंदवाड़ा, सिवनी, केवलारी, नैनपुर और घंसौर जैसे स्टेशन सीधे राष्ट्रीय रेल नक्शे पर आ जाते।
सांसदों की भूमिका पर सवाल
रेल मार्ग का निर्धारण पूरी तरह केंद्र सरकार के अधीन होता है। ऐसे में स्थानीय सांसदों की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने क्षेत्र के लिए रेल सुविधाएँ सुनिश्चित करें।
- छिंदवाड़ा – विवेक बंटी साहू
- बालाघाट – भारती पारधी
- मंडला – फग्गन सिंह कुलस्ते
रेलवे बोर्ड सूत्रों के अनुसार, यदि इन सांसदों ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के सामने मजबूती से अपनी बात रखी होती तो अमृत भारत ट्रेन को सिवनी मार्ग से गुजारना संभव हो सकता था।
अमृत भारत ट्रेन की विशेषताएँ
यात्रियों की सुविधा को देखते हुए इस ट्रेन में कुल 22 कोच लगाए गए हैं:
- 8 कोच – स्लीपर क्लास
- 11 कोच – सामान्य श्रेणी
- 1 पेंट्री कार
- 2 एसएलआर कोच
यह ट्रेन भले ही साप्ताहिक है, लेकिन इसमें लंबी दूरी के यात्रियों को आरामदायक और सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिलेगा।
जनता की नाराज़गी
स्थानीय संगठनों और यात्री संघों ने इस फैसले को आदिवासी अंचल की उपेक्षा करार दिया है। उनका कहना है कि:
- यदि ट्रेन सिवनी मार्ग से चलती तो हजारों लोगों को सीधा लाभ मिलता।
- इससे पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिलता।
- नागपुर–इटारसी जैसे पहले से भीड़भाड़ वाले मार्ग पर बोझ कम होता।
विशेषज्ञों की राय
रेलवे विशेषज्ञों का मानना है कि छिंदवाड़ा–सिवनी–नैनपुर–जबलपुर मार्ग दूरी में कम और यात्री दबाव घटाने के लिहाज से ज्यादा उपयुक्त था। लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति और सांसदों की निष्क्रियता के कारण यह विकल्प अपनाया नहीं गया।
अमृत भारत ट्रेन ने जबलपुर को जरूर उत्तर और दक्षिण भारत से जोड़ दिया है, लेकिन सिवनी, छिंदवाड़ा, बालाघाट और मंडला जैसे आदिवासी बहुल जिले अब भी लंबी दूरी की ट्रेनों से वंचित हैं।
रेलवे के इस फैसले ने यह बड़ा सवाल खड़ा किया है –
क्या नीतिगत उपेक्षा और राजनीतिक लापरवाही के चलते आदिवासी अंचल हमेशा विकास से कटे रहेंगे?