उपासना डेस्क, नॉएडा : सावन का महीना आते ही, चारों ओर भक्ति और श्रद्धा का माहौल छा जाता है। इसी पावन महीने में, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में, ऐतिहासिक श्री टपकेश्वर महादेव की 25वीं शोभायात्रा बड़े ही धूमधाम से निकाली गई। यह शोभायात्रा हर साल सावन के महीने में निकाली जाती है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं। इस साल भी शोभायात्रा को लेकर भक्तों में खासा उत्साह देखने को मिला, जिसने इसे और भी भव्य बना दिया।
भक्ति और उल्लास से सराबोर शोभायात्रा
यह यात्रा देहरादून की शिवाजी धर्मशाला से शुरू होकर, सहारनपुर चौक, झंडा बाजार, पल्टन बाजार, घंटाघर और बिंदाल से होते हुए, अंत में कैंट क्षेत्र में स्थित टपकेश्वर मंदिर पर समाप्त हुई। जैसे-जैसे शोभायात्रा आगे बढ़ती गई, वैसे-वैसे भक्तों का हुजूम भी बढ़ता गया। सड़कों के दोनों ओर खड़े लोग भगवान भोलेनाथ की एक झलक पाने के लिए बेचैन थे। शोभायात्रा के मार्ग में जगह-जगह सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने मंच लगाए थे, जहाँ उन्होंने पुष्पवर्षा कर यात्रा का भव्य स्वागत किया। यह दृश्य देखने लायक था, मानो पूरा शहर शिव भक्ति में लीन हो गया हो।
झाँकियों और बैंड-बाजों ने मोहा मन
शोभायात्रा में कई मनमोहक झाँकियाँ शामिल थीं, जिन्होंने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। इन झाँकियों में सुरकंडा देवी, श्रीराम दरबार अयोध्या, साला-सर बालाजी और अन्य कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं थीं। इन झाँकियों ने यात्रा को न केवल रंगीन बनाया, बल्कि एक आध्यात्मिक और भक्तिमय माहौल भी प्रदान किया। इन झाँकियों के साथ-साथ, विभिन्न बैंड-बाजे भी यात्रा में शामिल थे, जिनके भक्तिमय धुन पर श्रद्धालु झूमते हुए आगे बढ़ रहे थे। हर तरफ ‘बम-बम भोले’ के जयकारे गूंज रहे थे, जो वातावरण में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार कर रहे थे।
प्रसाद वितरण और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
शोभायात्रा के पूरे रास्ते में, जगह-जगह भोलेनाथ के भक्तों ने प्रसाद वितरण का आयोजन किया था। खीर, हलवा, शरबत और अन्य कई तरह के पकवानों का प्रसाद भक्तों में बांटा जा रहा था। यह प्रसाद न केवल श्रद्धालुओं को ऊर्जा दे रहा था, बल्कि यह एक-दूसरे के प्रति प्रेम और भाईचारे का भी प्रतीक था। इस विशाल शोभायात्रा की सुरक्षा के लिए पुलिस ने भी चाक-चौबंद व्यवस्था की थी। पुलिसकर्मी पूरे रास्ते में मुस्तैद थे, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना न हो। उनकी सतर्कता और कड़ी व्यवस्था के कारण, शोभायात्रा बिना किसी बाधा के सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
देहरादून की यह शोभायात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह शहर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है। यह हर साल लोगों को एक साथ लाती है, जहाँ सभी मिलकर भगवान भोलेनाथ की भक्ति में लीन हो जाते हैं। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करती है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी देती है।




