नेपाल सरकार द्वारा फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, एक्स (ट्विटर) और यूट्यूब जैसी प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद देशभर में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में हजारों युवा सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन करते हुए संघीय संसद परिसर में घुस गए।
प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स तोड़कर और गेट फांदकर संसद भवन में जबरन प्रवेश किया। हालात बिगड़ने पर पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।
अब तक की जानकारी के अनुसार, प्रदर्शनों में 19 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से अधिक घायल हैं। मृतकों में 16 काठमांडू घाटी से और 2 इटाहरी से बताए जा रहे हैं। हालात को देखते हुए कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया कंपनियां नेपाल में स्थानीय नियमों के तहत पंजीकरण नहीं करा रही थीं। इसके अलावा अफवाहों, गलत सूचनाओं और साइबर अपराधों पर रोक लगाने के लिए यह कदम जरूरी था।
हालाँकि, प्रदर्शन कर रहे छात्रों और युवाओं का मानना है कि यह फैसला अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सीधा हमला है। एक छात्र ने कहा—
“हमारे माता-पिता टैक्स दे रहे हैं, मेहनत कर रहे हैं, लेकिन हमें वो अधिकार नहीं मिल रहे जो मिलने चाहिए। सरकार सिर्फ अपने अधिकारियों की सुविधा देख रही है।”
एक अन्य प्रदर्शनकारी ने आरोप लगाया—
“हमें बोलने की आज़ादी दी गई है, लेकिन सरकार हमारी आवाज़ दबा रही है। इस स्थिति को रोकने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है।”
नेपाल में हालात लगातार बिगड़ रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस पर नजर बनाए हुए है।