प्रयागराज – नवरात्रि से पहले प्रयागराज की महिलाओं ने गाय के गोबर और ग्वार गम से बने अनोखे पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया है। दीवार घड़ियों, झूमरों और देवी-देवताओं की मूर्तियों की माँग खासकर अयोध्या, मथुरा, काशी और प्रयागराज जैसे धार्मिक शहरों में तेज़ी से बढ़ रही है।
आभा सिंह के नेतृत्व में आशारानी फाउंडेशन स्वयं सहायता समूह की महिलाएँ इन दिनों 500 से अधिक डिज़ाइनर मूर्तियाँ और सजावटी सामान बाज़ारों में भेज चुकी हैं। इनमें राम दरबार, शंकर-पार्वती, राधा-कृष्ण और गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियाँ शामिल हैं।
क्यों हैं ये उत्पाद ख़ास?
- बायोडिग्रेडेबल और रोगाणुरोधी – गाय का गोबर प्राकृतिक रूप से सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल है।
- किफायती दाम – हर बजट के खरीदारों के लिए आसानी से उपलब्ध।
- डिज़ाइनर वैराइटी – स्वस्तिक, ॐ, श्रीयंत्र, फूल, चक्र जैसे पारंपरिक डिज़ाइन।
- त्योहारों में बढ़ती माँग – नवरात्रि और दिवाली दोनों पर्वों के लिए व्यापारी बड़े स्तर पर ऑर्डर कर रहे हैं।
बनाने की प्रक्रिया
- गोबर को सुखाकर उसमें से घास और अन्य तत्व अलग किए जाते हैं।
- ग्वार गम मिलाकर पेस्ट तैयार किया जाता है।
- अलग-अलग सांचों में ढालकर उन्हें सुखाया जाता है।
- अंतिम चरण में प्राकृतिक रंगों से सजाकर तैयार किया जाता है।
महिलाओं का सशक्तिकरण
इन उत्पादों की बढ़ती लोकप्रियता ने प्रयागराज, बलिया, गोरखपुर, मथुरा, अयोध्या और वृंदावन की महिलाओं को भी प्रशिक्षण शिविरों में जुड़ने के लिए प्रेरित किया है।
आभा सिंह का कहना है –
“गाय के गोबर से बनी डिज़ाइनर दीवार घड़ियों और मूर्तियों की माँग बढ़ रही है। ये न केवल सजावटी हैं बल्कि उपयोगी भी हैं, और सबसे बड़ी बात यह है कि ये प्रकृति के साथ त्योहार मनाने का अनूठा तरीका प्रदान करती हैं।”