आज देशभर में गीता जयंती 2025 बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जा रही है। यह पावन दिन उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाता है, जब लगभग पांच हजार वर्ष पहले कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का अमर और कालजयी उपदेश दिया था।
गीता जयंती का महत्व
गीता जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भगवान कृष्ण द्वारा दिए गए उस सार्वभौमिक ज्ञान की स्मृति है, जो जीवन, कर्तव्य, धर्म और सत्य के मार्ग को स्पष्ट करने वाला माना जाता है। भगवद गीता की शिक्षाएँ समय से परे हैं और आज भी दुनिया भर के लाखों लोग इन्हें अपने आध्यात्मिक एवं दैनिक जीवन में अपनाते हैं।
गीता की शिक्षाएँ क्यों हैं अनंत और सार्वभौमिक?
भगवद गीता में जीवन के मूलभूत प्रश्नों—कर्तव्य, अस्तित्व और धर्म—का उत्तर मिलता है।
गीता जयंती का पर्व भक्तों को प्रेरित करता है कि वे गीता के संदेश पर मनन करें और उसे अपने जीवन में उतारें। इसी कारण यह दिन आत्मचिंतन और आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक माना जाता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही है गीता की लोकप्रियता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आकाशवाणी के मन की बात कार्यक्रम में भगवद गीता के प्रति विश्वभर में बढ़ती रुचि का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि यूरोप और मध्य एशिया सहित कई देशों से आए लोगों ने हाल ही में हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में भाग लिया।
उन्होंने कहा कि यह देखना प्रेरणादायक है कि कैसे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लोग गीता के संदेश से प्रभावित हो रहे हैं।




