किन्नर कैलाश यात्रा मार्ग पर बादल फटने से फंसे हजारों श्रद्धालु, ITBP ने 413 लोगों को बचाया

उपासना डेस्क, नॉएडा: हिमाचल प्रदेश के तांगलिंग क्षेत्र में किन्नर कैलाश यात्रा मार्ग पर बादल फटने के कारण ट्रैक का एक बड़ा हिस्सा बह गया, जिससे हजारों यात्री फंस गए। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की 17वीं वाहिनी की टीम ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया। उन्होंने रस्सी आधारित ट्रैवर्स क्रॉसिंग तकनीक का इस्तेमाल करते हुए अब तक 413 श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।

सुबह जिला प्रशासन, किन्नौर को यात्रियों के फंसे होने की सूचना मिलते ही ITBP और NDRF की टीमें बचाव अभियान में जुट गईं। इस अभियान में एक राजपत्रित अधिकारी, चार अधीनस्थ अधिकारी, और 29 अन्य रैंकों के ITBP जवान शामिल हैं, जो NDRF की टीम के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्य कर रहे हैं। ITBP लगातार जिला प्रशासन और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय बनाए हुए है ताकि सभी फंसे हुए यात्रियों को जल्द से जल्द सुरक्षित निकाला जा सके।

किन्नर कैलाश यात्रा का महत्व
किन्नर कैलाश यात्रा, जिसे अक्सर ‘छोटा कैलाश’ भी कहा जाता है, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित एक बेहद कठिन और पवित्र तीर्थयात्रा है। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति और रोमांच को पसंद करने वाले लोगों के लिए भी एक अनूठा अनुभव प्रदान करती है।

धार्मिक और पौराणिक महत्व
यह यात्रा भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि किन्नर कैलाश भगवान शिव का शीतकालीन निवास स्थान है। इस यात्रा का मुख्य आकर्षण 79 फीट ऊँचा किन्नर कैलाश शिवलिंग है, जिसे चट्टानों के बीच एक विशालकाय शिवलिंग के रूप में देखा जाता है। मान्यता है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह स्थान वह जगह है जहाँ भगवान शिव ने अपने गणों, किन्नरों, के साथ वास किया था। यही कारण है कि इस पर्वत का नाम किन्नर कैलाश पड़ा। इस क्षेत्र से जुड़ी कई कहानियाँ हैं जो इसे और भी पवित्र बनाती हैं। हर साल हजारों श्रद्धालु दुर्गम रास्तों को पार करते हुए इस पवित्र यात्रा को पूरा करने के लिए यहाँ आते हैं।

प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांच
किन्नर कैलाश यात्रा सिर्फ धार्मिक यात्रा नहीं है। यह उन लोगों के लिए भी एक शानदार मौका है जो हिमालय के भव्य और अछूते सौंदर्य को देखना चाहते हैं। यह यात्रा दुर्गम पहाड़ियों, बर्फीले रास्तों, और घने जंगलों से होकर गुजरती है, जो इसे बेहद रोमांचक बनाती है।

यात्रा के दौरान आपको किन्नौर की हरी-भरी घाटियाँ, सेब के बागान, और शांत नदियाँ देखने को मिलती हैं। इस यात्रा का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा परिक्रमा है, जो बहुत चुनौतीपूर्ण मानी जाती है। यात्री अक्सर सुबह जल्दी निकलकर दिनभर चलते हैं ताकि वे अपने पड़ाव तक पहुँच सकें।

यह यात्रा आपको आत्म-चिंतन और शांति का अवसर भी देती है। शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर, प्रकृति की गोद में कुछ दिन बिताना मन को शांत और तरोताजा कर देता है।


यात्रा की चुनौतियाँ और तैयारी
यह यात्रा शारीरिक और मानसिक रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण है। यात्रियों को ऊँचाई पर होने वाली बीमारियों, जैसे कि ऑल्टीट्यूड सिकनेस, का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, इस यात्रा पर जाने से पहले अच्छी शारीरिक तैयारी और मेडिकल चेकअप बहुत जरूरी है।

यात्रा के लिए उचित कपड़े, जूते, और आवश्यक दवाएँ साथ लेकर चलना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, यात्रियों को स्थानीय गाइडों की मदद लेनी चाहिए, जो रास्तों और मौसम की अच्छी जानकारी रखते हैं।

संक्षेप में, किन्नर कैलाश यात्रा एक ऐसी यात्रा है जो आपको धार्मिक आस्था, प्राकृतिक सौंदर्य, और व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करने का मौका देती है। यह एक ऐसा अनुभव है जो जीवनभर याद रहता है।