भारत की पवित्र भूमि पर, एक ऐसा शहर है जो सदियों से आस्था और आध्यात्म का केंद्र रहा है। ये है मंदिरों की नगरी – उज्जैन।
हर बारह साल में, शिप्रा नदी के तट पर महाकाल की नगरी उज्जैन, एक अद्भुत संगम का साक्षी बनती है – सिंहस्थ कुंभ मेला। करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने यहाँ आते हैं। और अब, समय आ रहा है 2028 के सिंहस्थ का।
इस बार का सिंहस्थ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं होगा, बल्कि ये उज्जैन को एक स्पिरिचुअल सिटी यानी एक आध्यात्मिक नगरी के रूप में स्थापित करने का एक बड़ा अवसर होगा। कल्पना कीजिए, एक ऐसा शहर जहाँ आध्यात्मिकता और आधुनिकता का सुंदर मेल हो।
तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए और भी बेहतर सुविधाएं। प्राचीन विरासत का संरक्षण, मंदिरों का जीर्णोद्धार, और साफ-सुथरे घाट।
साथ ही, पर्यावरण के प्रति जागरूकता, कचरा प्रबंधन की आधुनिक व्यवस्था और जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उज्जैन केवल एक तीर्थस्थल ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्म का एक वैश्विक केंद्र बनेगा – जहाँ योग, ध्यान और प्राचीन ज्ञान की शिक्षा दी जाएगी।
सड़कों और परिवहन व्यवस्था को और बेहतर बनाया जाएगा, ताकि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो। ये परिवर्तन उज्जैन की अर्थव्यवस्था को भी गति देंगे, स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करेंगे।
उज्जैन का सिंहस्थ 2028 एक भव्य आयोजन होगा, जो इस पौराणिक नगरी को विश्व के आध्यात्मिक मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाएगा। एक ऐसा शहर, जहाँ हर पत्थर, हर कण में आध्यात्म की अनुभूति होगी।
श्री अग्नि अखाड़ा के सभापति मुक्तानंद बापू महाराज ने एक पेड़ मां के नाम अभियान अंतर्गत श्री अग्निअखाड़ा परिसर में पौधे रोपण के कार्यक्रम के दौरान बुधवार सुबह कहा कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में सिंहस्थ 2028 का आयोजन सिंहस्थ स्पिरिचुअल सिटी बनने से होगा भव्य|
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ यादव के नेतृत्व में सिंहस्थ 2028 के लिए किए जा रहे स्पिरिचुअल सिटी का विकास,29 किमी से अधिक लंबे नवीन घाट निर्माण ,शिप्रा शुद्धिकरण के लिए कान्ह क्लोज़ डक्ट परियोजना,शिप्रा को प्रवाहमान बनाने के लिए सिलारखेड़ी-सेवारखेड़ी परियोजना,सुगम यातायात और देश में सभी बड़े शहरों से कनेक्टिविटी के लिए 6 और 4 लेन निर्माण ,नवीन सैटेलाइट रेलवे स्टेशन विकास आदि कार्यों से सिंहस्थ 2028 का श्रद्धालुओं का अनुभव होगा आध्यात्मिक और दिव्य।