सीकर: श्री कल्याण धाम में भगवान नृसिंह के दर्शन, उमड़ी भक्तों की भारी भीड़
सीकर, 7 अगस्त 2025 – राजस्थान के सीकर जिले में स्थित श्री कल्याण धाम में इन दिनों आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। हर साल की तरह इस वर्ष भी श्री कल्याण धणी का भव्य मेला महोत्सव, जिसे हिंडोला उत्सव के नाम से भी जाना जाता है, बड़े ही धूमधाम से आयोजित किया जा रहा है। धर्मगुरु सनातन रत्न महंत विष्णु प्रसाद शर्मा के सानिध्य में 5 अगस्त से शुरू हुआ यह महोत्सव रक्षाबंधन तक चलेगा।
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इस पावन अवसर पर, आज भगवान के नृसिंह अवतार ने अपने भव्य स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिए। भगवान नृसिंह के प्रकट होने के दिव्य क्षण को देखकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए और पूरा मंदिर परिसर जयकारों से गूंज उठा। इस अलौकिक छवि के साथ-साथ श्रीनाथजी, नाथद्वारा की मनमोहक झांकी भी सजाई गई थी, जिसने सभी का मन मोह लिया।
हिंडोला महोत्सव के लिए पूरे मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी और फूलों से सजाया गया है। फूलों की खुशबू और लाइटों की जगमगाहट से मंदिर का वातावरण और भी दिव्य हो गया है। भगवान श्री कल्याण जी महाराज, अपनी अर्धांगिनी लक्ष्मी जी के साथ, झूले पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। इस मनोरम दृश्य को देखने के लिए राजस्थान और आसपास के राज्यों से बड़ी संख्या में भक्त उमड़ रहे हैं।
मंदिर के पुजारियों के अनुसार, इस मेले में देशभर से आए कलाकार अपनी प्रस्तुतियां दे रहे हैं। अलवर, सिरसा, दिल्ली और पंजाब जैसे शहरों से आए ये कलाकार अपनी सजीव झांकियों और नृत्यों से भक्तों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं। इस वर्ष कई झांकियां विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। इनमें नाग कन्या, राजस्थानी लोक कठपुतली नृत्य, और राजस्थानी घोड़ी नृत्य प्रमुख हैं। इसके अलावा, जोकर, चार्ली चैपलिन, शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण, राम-सीता, बाहुबली हनुमान, सुदामा, लड्डू गोपाल और महाकाल की झांकियां भी श्रद्धालुओं के बीच बेहद लोकप्रिय हो रही हैं।
मसाने की होली जैसी अनूठी झांकियां भी भक्तों को एक अलग ही अनुभव प्रदान कर रही हैं। यह उत्सव सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि आस्था, कला और संस्कृति का एक अनूठा संगम है, जहां हर एक क्षण भक्ति और आनंद से भरा हुआ है। यह आयोजन एक बार फिर यह साबित करता है कि धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हमारे जीवन में कितना गहरा महत्व है। यह महोत्सव न सिर्फ भक्तों को अध्यात्म से जोड़ता है, बल्कि हमारी समृद्ध विरासत को भी जीवंत बनाए रखता है।