श्रीराम मंदिर परिसर में सभी 6 मंदिरों में 15 अक्टूबर से श्रद्धालु दर्शन पूजन कर सकेंगे

अयोध्या में श्रीराम मंदिर परिसर में सभी 6 मंदिरों में 15 अक्टूबर से श्रद्धालु दर्शन पूजन कर सकेंगे। श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि निर्माण समिति की तीन दिवसीय समीक्षा बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि नवंबर में श्रीराम मंदिर के ध्वजारोहण कार्यक्रम की तैयारी की जा रही है। इस कार्यक्रम में अयोध्या और आसपास के  जिलों से ही अतिथियों को आमंत्रित किया जाएगा।

उन्होंने कहा- दो दिन की ये जो समीक्षा बैठक इसमें लगभग ये सामने आ गयी बात की परकोटा, परकोटा के छह मंदिर, शेषावतार मंदिर इसमें दर्शन का प्रारंभ अक्टूबर में हो जाएगा। जनता को, दर्शनार्थियों को जाने के रास्ते साफ हो जाएँगे। सभी बाधाएं दूर हो जाएगी।

मंदिर की भव्यता और स्थापत्य कला

श्रीराम मंदिर का निर्माण नागर शैली की स्थापत्य कला में किया गया है, जो उत्तर भारत के मंदिरों की एक विशिष्ट पहचान है। यह मंदिर 161 फीट ऊँचा, 380 फीट लंबा और 250 फीट चौड़ा है। मंदिर में तीन मंजिलें हैं, जिनमें 392 स्तंभ और 44 द्वार हैं। प्रत्येक स्तंभ और दीवार पर देवी-देवताओं और पौराणिक कथाओं की सुंदर नक्काशी की गई है, जो भारतीय कला की उत्कृष्टता को दर्शाती है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में बाल स्वरूप में भगवान श्रीराम की मूर्ति स्थापित है, जिसे ‘रामलला’ के नाम से जाना जाता है।

परिसर का विस्तार और विकास

मंदिर परिसर का कुल क्षेत्रफल 70 एकड़ है। यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। परिसर में कई अन्य संरचनाएं भी बनाई जा रही हैं:

  1. महर्षि वाल्मीकि, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि वशिष्ठ, निषादराज, शबरी, और देवी अहिल्या के मंदिर: ये मंदिर उन महान संतों और भक्तों को समर्पित हैं जिनका श्रीराम के जीवन में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
  2. राम कथा संग्रहालय: यहाँ भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़ी कलाकृतियाँ, ग्रंथ और ऐतिहासिक दस्तावेज प्रदर्शित किए जाएंगे।
  3. यज्ञशाला और अनुष्ठान मंडप: धार्मिक अनुष्ठानों और बड़े समारोहों के लिए विशाल यज्ञशाला का निर्माण किया गया है।
  4. तीर्थयात्री सुविधा केंद्र: भक्तों की सुविधा के लिए यहाँ चिकित्सा, विश्राम, भोजन और शौचालय जैसी सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
  5. पर्यावरण संरक्षण: परिसर में 600 से अधिक पेड़-पौधे लगाए गए हैं, जिनमें से अधिकांश स्वदेशी प्रजातियाँ हैं। यह परिसर को हरा-भरा और पर्यावरण के अनुकूल बनाएगा।

एक सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र

श्रीराम मंदिर परिसर केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा केंद्र होगा जहाँ सनातन धर्म के मूल्यों, संस्कृति और ज्ञान का प्रचार-प्रसार होगा। यह विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाएगा और एकता, सद्भाव और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देगा। यह परिसर न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि यह अयोध्या और आस-पास के क्षेत्रों में आर्थिक विकास का भी एक प्रमुख इंजन बनेगा।

श्रीराम मंदिर का निर्माण भारत के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत है। यह हमें हमारे समृद्ध इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिक जड़ों से जोड़ता है। यह मंदिर लाखों लोगों की आस्था, धैर्य और दृढ़ संकल्प का परिणाम है। श्रीराम मंदिर परिसर अयोध्या अब केवल एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहाँ हर भारतीय अपनी गौरवशाली विरासत पर गर्व कर सकता है। यह एक ऐसा स्थान है जो हमें बताता है कि धैर्य, विश्वास और न्याय की हमेशा जीत होती है।

यह मंदिर परिसर हमें हमारी सभ्यता के शाश्वत मूल्यों की याद दिलाता है और भविष्य के लिए एक प्रेरणा स्रोत का काम करेगा।