बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रांगण में भव्य बेलपत्र प्रदर्शनी: एक अनोखी परंपरा का जीवंत रूप
सावन का पवित्र महीना भले ही समाप्त हो गया हो, लेकिन देवघर में बांग्ला सावन की धूम अब भी जारी है। संक्रांति से संक्रांति तक चलने वाले इस विशेष बांग्ला सावन में, बाबा बैद्यनाथ मंदिर का प्रांगण भक्तों की आस्था और परंपरा के रंग में रंग जाता है। इसी कड़ी में, बीते सोमवार को यहां एक भव्य बेलपत्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसने देवघर की सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत को एक बार फिर जीवंत कर दिया।
इस प्रदर्शनी की सबसे खास बात यह है कि यह केवल एक साधारण धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि लगभग पौने दो सौ साल पुरानी एक परंपरा है, जिसे बम बम बाबा ब्रह्मचारी ने शुरू किया था। उन्होंने यह अनूठी प्रथा इसलिए शुरू की थी, ताकि भक्त और पंडा समाज के लोग दुर्लभ और विशिष्ट बेलपत्रों को एक स्थान पर एकत्रित करके उनकी महत्ता को दर्शा सकें। आज भी, इस परंपरा को उसी श्रद्धा और उत्साह के साथ निभाया जाता है।
यह प्रदर्शनी एक अनूठा संगम है, जहां दूर-दराज के जंगलों से पंडा समाज के सदस्य विभिन्न प्रकार के बेलपत्रों को चुनकर लाते हैं। ये बेलपत्र केवल साधारण पत्ते नहीं होते, बल्कि विशेष आकृति, आकार और दुर्लभता के कारण इन्हें काफी पवित्र माना जाता है। प्रदर्शनी में इन बेलपत्रों को सजाकर रखा जाता है, और भक्तगण इन्हें देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इस भव्य प्रदर्शन के बाद, इन बेलपत्रों को भगवान भोलेनाथ को अर्पित किया जाता है, जो इस आयोजन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
धार्मिक मान्यताएं और आस्था
बेलपत्र का भगवान शिव से गहरा संबंध है। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि एक बेलपत्र चढ़ाने मात्र से तीन जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। यही कारण है कि इस प्रदर्शनी के प्रति भक्तों में इतनी गहरी आस्था है। वे मानते हैं कि इन दुर्लभ बेलपत्रों के दर्शन और उन्हें भगवान पर अर्पित करने से उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। यह प्रदर्शनी सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि भक्तों के लिए अपनी भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम है।
नौ दलों की सहभागिता
इस प्रदर्शनी में कुल नौ दलों द्वारा अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दी जाती हैं। हर दल अपने-आप में विशेष होता है और अपनी अनूठी शैली में बेलपत्रों को प्रदर्शित करता है। इन दलों के सदस्य अपनी कला और लगन से इस प्रदर्शनी को भव्यता प्रदान करते हैं। यह आपसी सौहार्द और एकजुटता का भी एक सुंदर उदाहरण है, जहां सभी मिलकर एक महान परंपरा को आगे बढ़ाते हैं।
यह प्रदर्शनी सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि देवघर की संस्कृति और आस्था का एक जीवंत प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि कैसे परंपराएं, पीढ़ी-दर-पीढ़ी, हमारी सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखती हैं। बांग्ला सावन की यह भव्य बेलपत्र प्रदर्शनी, भक्तों को भगवान शिव के और करीब लाती है और उन्हें एक ऐसे अनुभव से जोड़ती है जो मन और आत्मा को शुद्ध कर देता है।