भारत के नए उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए आज वोटिंग होगी। एनडीए उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन विपक्षी इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी के खिलाफ मैदान में हैं।
781 सदस्यीय निर्वाचक मंडल में बहुमत के लिए 391 वोट जरूरी हैं। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को लगभग 436 वोट मिलने का अनुमान है, जिससे राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है। वहीं, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी जैसे दलों का समर्थन एनडीए को और मजबूत करता है। दूसरी ओर, बीजू जनता दल और भारत राष्ट्र समिति ने मतदान से दूरी बनाने का ऐलान किया है।
अगर सीपी राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति चुने जाते हैं तो वह तमिलनाडु से तीसरे उपराष्ट्रपति होंगे। उनसे पहले सर्वपल्ली राधाकृष्णन और आर वेंकटरमन यह पद संभाल चुके हैं। बचपन से आरएसएस से जुड़े राधाकृष्णन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है।
मतदान संसद भवन में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा और मतगणना शाम 6 बजे शुरू होगी। परिणाम देर शाम तक आने की उम्मीद है।
कौन हैं सी.पी. राधाकृष्णन?
पूरा नाम: चंद्रपुरम पोन्नुस्वामी राधाकृष्णन
जन्म: 20 अक्टूबर 1957, तिरुप्पुर, तमिलनाडु
शिक्षा: बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन (BBA) ग्रेजुएट, V. O. Chidambaram College, तुतुकुडी
खेलकूद: छात्रावस्था में टेबल टेनिस में कॉलेज चैम्पियन रहे
राजनीतिक एवं प्रशासनिक सफ़र
नवयुवक अवस्था से ही RSS से जुड़े और 1974 में जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने
1998 एवं 1999 में दो बार लोकसभा सांसद (कोयंबटूर से) चुने गए; तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे
विभिन्न राजभवनों में कार्य:
झारखंड के राज्यपाल (2023–2024)
तेलंगाना (अतिरिक्त प्रभार)
पुडुचेरी (उप–राज्यपाल, अतिरिक्त प्रभार)
वर्तमान में: महाराष्ट्र के राज्यपाल (2024 से वर्तमान)
कौन हैं बी. सुदर्शन रेड्डी?
बी. सुदर्शन रेड्डी भारत के एक वरिष्ठ न्यायविद एवं राजनीतिज्ञ हैं, जिन्हें हाल ही में INDIA ब्लॉक द्वारा भारत के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि और प्रारंभिक जीवन
8 जुलाई 1946 को आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) के रंगारेड्डी जिले के अकुला मायलारम गांव में जन्मे।
उन्होंने हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय से 1971 में कानून की डिग्री प्राप्त की और उसी वर्ष अधिवक्ता के रूप में अपनी वकालत की पारी शुरू की।
कानूनी करियर
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में संविधान और नागरिक मामलों में सुनवाई की शुरुआत की।
1988–1990 तक सरकारी अभियोजक (Government Pleader) रहे।
1990 में केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील (Additional Standing Counsel) और फिर उस्मानिया विश्वविद्यालय के कानूनी सलाहकार (Legal Adviser) भी रहे।
1993 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश बने, 2005 में गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) एवं 2007–2011 तक सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के न्यायाधीश रहे।
महत्वपूर्ण कार्य और न्यायिक विरासत
सल्वा जुडूम पर निर्णय (2011): छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी गतिविधियों के दौरान बनी इस मिलिशिया को असंवैधानिक घोषित करने वाले आदेश उन्होंने दिए, जो एक महत्वपूर्ण संवैधानिक रक्षा कार्य माना जाता है।
अपनी न्यायिक स्वतंत्रता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता के लिए आज भी उन्हें सम्मानित दृष्टि से देखा जाता है।
रिटायरमेंट के बाद, 2013 में गोवा का पहला लोकायुक्त (Lokayukta) भी नियुक्त हुए, जिसने सरकारी पारदर्शिता को बढ़ावा दिया।
राजनीतिक भूमिका
2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव में INDIA ब्लॉक के उम्मीदवार के रूप में उनका नाम चुनना विरोधी दलों द्वारा न्यायिक स्वतंत्रता और संवैधानिकताओं की रक्षा की एक वैचारिक लड़ाई की रूपरेखा के रूप में देखा जा रहा है।
चुनाव से पहले मीडिया में उन्होंने संसद और लोकतांत्रिक संस्थानों की मर्यादा बनाए रखने पर ज़ोर दिया।